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पलवल में कांग्रेस विधायक और DC भिड़े, “मैं दूसरी लाइन का नेता हूं” बोल भड़के MLA तेवतिया

हरियाणा की बड़ी खबर

➤ पलवल में ग्रीवेंस मीटिंग के दौरान DC और विधायक में तीखी बहस
➤ विधायक बोले- “मैं दूसरी लाइन का नेता हूं”, DC पर झूठ बोलने का लगाया आरोप
स्वास्थ्य मंत्री आरती राव की मौजूदगी में भी गरमाया मामला


हरियाणा के पलवल जिले में जिला ग्रीवेंस कमेटी की बैठक उस वक्त तनावपूर्ण माहौल में बदल गई, जब पृथला से कांग्रेस विधायक रघुवीर सिंह तेवतिया और DC हरीश कुमार वशिष्ठ के बीच पानी निकासी को लेकर बहस छिड़ गई। विधायक का आरोप था कि अफसर झूठी रिपोर्ट बना रहे हैं और वास्तविकता से भाग रहे हैं। जब DC ने मुस्कुराते हुए कहा, “इतना पानी कहां से आ गया?”, तो तेवतिया भड़क उठे और बोले – “मैं झूठ नहीं बोलता, मैं दूसरी लाइन का नेता हूं, चलिए मेरे साथ, दिखाता हूं कहां पानी भरा है।”

विधायक ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि अधिकारी जनता की समस्याओं को गंभीरता से नहीं लेते और विधायकों की गरिमा और प्रोटोकॉल की भी अनदेखी कर रहे हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि अधिकारी उनके बुलावे पर रेस्ट हाउस तक नहीं आते। तेवतिया ने चेतावनी दी कि अगर स्थिति नहीं सुधरी तो वे यह मामला विधानसभा में उठाएंगे।

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बैठक के दौरान राज्य की स्वास्थ्य मंत्री आरती राव भी मंच पर मौजूद थीं, मगर उन्होंने मामले में हस्तक्षेप नहीं किया। करीब 4 मिनट की इस बहस में DC लगातार शांत दिखे लेकिन मुस्कुराना विधायक को नागवार गुज़रा। बैठक के बाद DC हरीश वशिष्ठ मौके पर पहुंचे, वहां पानी भरा मिला और उन्होंने अधिकारियों को समाधान के निर्देश दिए।

तेवतिया ने कहा कि कई गांवों की सड़कें टूटी पड़ी हैं, जैसे – नंगला भीखू लिंक रोड, हरफली-सहराला रोड, अलावलपुर-चिरवाड़ी रोड, जहां पानी निकासी ना होने से जनता परेशान है। उन्होंने आरोप लगाया कि अधिकारी कागज़ों में समाधान दिखाकर मामले रफा-दफा कर रहे हैं।

तेवतिया अकेले नहीं हैं। इससे पहले भी कई विधायक प्रोटोकॉल और प्रशासनिक व्यवहार पर सवाल उठा चुके हैं। सिरसा से गोकुल सेतिया, अंबाला सिटी से निर्मल सिंह, सढौरा से रेणु बाला, गुहला से देवेंद्र हंस जैसे विधायक भी अफसरों की कार्यशैली से असंतुष्ट रहे हैं।

पूर्व गृह मंत्री अनिल विज भी इस विषय पर बोल चुके हैं। उन्होंने कहा था कि विधायक का प्रोटोकॉल मुख्य सचिव से भी ऊपर होता है, और प्रशासन को जनप्रतिनिधियों की बात गंभीरता से लेनी चाहिए।

दरअसल, विधायक प्रोटोकॉल कमेटी मार्च 2024 के बाद भंग कर दी गई थी, जिसके बाद से विधायकों की शिकायतें अनसुनी हो रही हैं। एडवोकेट हेमंत कुमार इस पर विधानसभा अध्यक्ष और मुख्यमंत्री को पत्र लिख चुके हैं।

ये पूरा विवाद सिर्फ एक मीटिंग का नहीं, बल्कि हरियाणा के प्रशासनिक सिस्टम और जनप्रतिनिधियों के रिश्ते पर सवाल खड़ा करता है। जब अधिकारियों और विधायकों के बीच विश्वास ना हो, तो उसका सीधा असर जनता की मूलभूत समस्याओं पर पड़ता है।