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सरकार से बिगड़ते रिश्ते, मर्सिडीज की मांग, और अब विदाई पर बवाल और कांग्रेस का साथ: धनखड़ की पूरी कहानी!

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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा: सरकार से बिगड़े रिश्ते और विदाई पर सियासी रार बनी डबल मुसीबत

मंत्रियों से कटु व्यवहार, मर्सिडीज की मांग और प्रोटोकॉल उल्लंघन बने इस्तीफे की वजह; अब विदाई पर कांग्रेस-सरकार आमने-सामने

राष्ट्रपति भवन में 25 मिनट का इंतजार और अब विदाई से इनकार: धनखड़ प्रकरण में हर मोड़ पर गहरा रहा सस्पेंस

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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का 21 जुलाई को दिया गया अचानक इस्तीफा अब सिर्फ पद छोड़ने का मामला नहीं रह गया है, बल्कि इसके पीछे की सियासी पटकथा और इस्तीफे के बाद की विदाई को लेकर मची रार ने पूरे राजनीतिक गलियारों में सनसनी फैला दी है। एक तरफ केंद्र सरकार के साथ उनके तनावपूर्ण संबंधों की परतें खुल रही हैं, तो दूसरी ओर कांग्रेस ने उन्हें सम्मानजनक विदाई दिए जाने की मांग कर एक नया मोर्चा खोल दिया है, जिस पर सरकार तैयार नहीं दिख रही है।

जगदीप धनखड़ के इस्तीफे की मुख्य वजहें: सूत्रों से मिली लेटेस्ट जानकारी के अनुसार, धनखड़ के इस्तीफे की सबसे बड़ी वजह केंद्र सरकार के साथ उनके तनावपूर्ण संबंध थे। अंदरूनी सूत्रों का दावा है कि उनका सीनियर कैबिनेट मंत्रियों के साथ व्यवहार अच्छा नहीं था। वह अक्सर उनके साथ कठोर व्यवहार करते थे और आधिकारिक बातचीत के दौरान उन्हें अपमानित भी करते थे। पिछले साल दिसंबर में, उन्होंने कथित तौर पर एक समारोह में कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को सार्वजनिक रूप से अपमानित किया था।

प्रोटोकॉल और डिमांड पर डिमांड: उनके इस्तीफे की कहानी में कई अहम घटनाक्रम शामिल हैं। अमेरिका के उपराष्ट्रपति जे डी वांस की भारत यात्रा से पहले जगदीप धनखड़ ने जोर देकर कहा था कि वह जे डी वांस के ‘समकक्ष’ हैं और सबसे अहम बैठक की अध्यक्षता की मांग की थी, जिसे प्रोटोकॉल का उल्लंघन माना गया। इसके अलावा, उन्होंने मंत्रियों से अपने आधिकारिक कार्यालयों में प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के साथ अपनी तस्वीर लगाने की कथित मांग की, जिससे सरकारी गलियारों में भौंहें तन गईं। उनकी एक और बड़ी डिमांड थी अपने आधिकारिक वाहन बेड़े को पूरी तरह से मर्सिडीज कारों में अपग्रेड करना, जिसे सरकार ने फिजूलखर्ची और अनावश्यक माना।

राष्ट्रपति भवन में देर रात का ड्रामा: सूत्रों के अनुसार, सरकार और उनके बीच तनातनी में अंतिम मोड़ तब आया जब जगदीप धनखड़ बिना किसी पूर्व नियुक्ति के अचानक राष्ट्रपति भवन पहुंचे। बिना किसी पूर्व सूचना के देर रात राष्ट्रपति भवन जाकर उन्होंने हंगामा मचा दिया। वहां 25 मिनट इंतजार करने के बाद उन्होंने अपना इस्तीफ़ा सौंप दिया। उन्हें उम्मीद थी कि सरकार उनसे संपर्क करेगी और उन्हें फिर से विचार करने के लिए मनाएगी, लेकिन उन्हें वह कॉल कभी नहीं आया। टॉप नेतृत्व से संदेश स्पष्ट था कि उन्हें जाना होगा।


अब विदाई पर सियासी खींचतान: कांग्रेस बनाम सरकार

इस्तीफे के बाद अब नया विवाद जगदीप धनखड़ को विदाई समारोह दिए जाने पर छिड़ा है। कांग्रेस पार्टी ने राज्यसभा की बैठक में मांग उठाई है कि एक पूर्व उपराष्ट्रपति को सम्मानजनक विदाई मिलनी चाहिए, लेकिन केंद्र सरकार इस मांग पर तैयार नहीं दिख रही है। सरकार का यह रुख जगदीप धनखड़ के साथ उनके बिगड़े रिश्तों का एक और स्पष्ट संकेत है। विपक्ष इसे एक पूर्व संवैधानिक पदधारक के प्रति असम्मान बता रहा है, जबकि सरकार की चुप्पी कई सवाल खड़े कर रही है।

यह पूरा घटनाक्रम जगदीप धनखड़ के कार्यकाल के अंत को और भी ड्रामाई बना रहा है, जहां पहले उनके इस्तीफे के कारण चर्चा में रहे और अब उनके विदाई समारोह पर सरकार की अस्वीकृति ने राजनीतिक तापमान को और बढ़ा दिया है।