➤ अलास्का में ट्रंप और पुतिन की ऐतिहासिक मुलाकात
➤ बी-2 स्टील्थ बॉम्बर और एफ-22 रैप्टर से अमेरिकी शक्ति का प्रदर्शन
➤ 10 साल बाद पुतिन की अमेरिका यात्रा, शिखर सम्मेलन बिना नतीजे के खत्म
शुक्रवार का दिन अंतरराष्ट्रीय कूटनीति और शक्ति प्रदर्शन दोनों लिहाज से बेहद खास रहा। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन करीब एक दशक बाद अमेरिका पहुंचे और यहां अलास्का के एंकोरेज में उनके अमेरिकी समकक्ष डोनाल्ड ट्रंप ने उनका भव्य स्वागत किया। पुतिन के स्वागत के लिए अमेरिकी सेना ने बी-2 स्टील्थ बॉम्बर्स और एफ-22 रैप्टर जेट्स जैसे दुनिया के सबसे ताकतवर युद्धक विमानों को उड़ान भरवाया।

ट्रंप ने रेड कारपेट बिछाकर पुतिन का स्वागत किया और गर्मजोशी से हाथ मिलाते हुए दुनिया को यह संदेश दिया कि दोनों महाशक्तियों के बीच संवाद की गुंजाइश अभी भी जिंदा है। इतना ही नहीं, दोनों नेता ट्रंप की खास लिमोजिन में सवार होकर शिखर वार्ता स्थल तक पहुंचे। हालांकि यह मुलाकात किसी ठोस नतीजे पर खत्म नहीं हुई, लेकिन इसे अंतरराष्ट्रीय राजनीति में बड़ा संकेत माना जा रहा है।

प्रोटोकॉल के तहत एफ-35 जेट्स पास के आइल्सन एयरफोर्स बेस से और एफ-22 विमान एल्मेंडॉर्फ से उड़ाए गए। यह अब भी साफ नहीं है कि यह अमेरिकी शक्ति प्रदर्शन का हिस्सा था या नियमित प्रोटोकॉल। ज्ञात रहे कि अमेरिका और रूस दोनों परमाणु संपन्न राष्ट्र हैं और किसी भी तरह का सैन्य संकेत पूरी दुनिया की नजरों में होता है।

बी-2 बॉम्बर को अमेरिकी ताकत का प्रतीक माना जाता है। यह विमान दुनिया में कहीं भी बिना रुके उड़ सकता है और पारंपरिक व परमाणु हथियार दोनों ले जा सकता है। इन्हीं विमानों का इस्तेमाल अमेरिका ने ईरान में हुए ऑपरेशन मिडनाइट हैमर के दौरान किया था, जब सात बी-2 बॉम्बर्स ने 36 घंटे लगातार उड़ान भरकर दर्जनों बंकर बस्टर बम गिराए थे।
पुतिन की यह यात्रा कई मायनों में खास रही क्योंकि 2015 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के बाद यह उनकी पहली अमेरिका यात्रा थी। तब उन्होंने बराक ओबामा से मुलाकात की थी, जिसे आज तक ठंडी मुलाकात के तौर पर याद किया जाता है। वहीं, फरवरी 2022 में यूक्रेन पर हमले के बाद यह उनकी किसी पश्चिमी देश की पहली यात्रा मानी जा रही है।
रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार बी-2 स्पिरिट बॉम्बर की एक यूनिट की लागत 2 अरब डॉलर से अधिक है और अब तक केवल 21 यूनिट्स बनाए गए हैं। इस प्रोग्राम पर कुल 44 अरब डॉलर का खर्च आया है, जबकि हर बॉम्बर के वार्षिक रखरखाव पर करीब 4 करोड़ डॉलर खर्च होते हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच 15 अगस्त 2025 को अलास्का के एंकोरेज में ऐतिहासिक मुलाकात हुई। यह बैठक लगभग तीन घंटे चली, जिसका मुख्य उद्देश्य यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के विकल्प तलाशना था। दोनों नेताओं ने क्षेत्रीय समझौते, युद्धबंदी हस्तांतरण और यूक्रेन के लिए अमेरिकी सुरक्षा गारंटी पर चर्चा की, लेकिन कोई ठोस समझौता नहीं हो सका।
ट्रंप ने मुलाकात को सकारात्मक और सौहार्दपूर्ण बताया, कहा कि कई मुद्दों पर सहमति बनी है और वह चाहते हैं कि लोग मरना बंद करें। उन्होंने जेलेंस्की से शीघ्र समझौते की अपील की और यूरोपीय देशों से सक्रिय भूमिका निभाने को कहा।
इस मुलाकात में सबसे अहम क्षण तब आया जब ट्रंप ने पुतिन को अपनी पत्नी मेलानिया ट्रंप का पत्र सौंपा। पत्र में यूक्रेन के 19,500 अपहृत बच्चों का जिक्र था, जिन्हें रूस और उसके कब्जे वाले क्षेत्रों में जबरन भेजा गया। यह मुद्दा यूक्रेन में बेहद संवेदनशील माना जाता है।
पुतिन ने वार्ता को “उपयोगी और बेहद सकारात्मक” बताया और दावा किया कि अगर 2022 में ट्रंप राष्ट्रपति होते तो युद्ध कभी शुरू ही नहीं होता। वहीं, पूर्व नाटो राजदूत डगलस ल्यूट ने कहा कि इस शिखर सम्मेलन से पुतिन को वैश्विक मंच पर फायदा मिला, जबकि ट्रंप के हाथ लगभग खाली रहे।
इसके बावजूद, क्रेमलिन ने इस मुलाकात को “बेहद सकारात्मक” करार दिया और कहा कि शांति की दिशा में आगे बढ़ने के लिए रास्ते खुले हैं।