रणदीप सिंह सुरजेवाला हरियाणा के पूर्व विधायक और कांग्रेस पार्टी के मुख्य प्रवक्ता है। अपने शब्दों के बाण से अक्सर बीजेपी पर प्रहार करने वाले कांग्रेस पार्टी के नेता सुरजेवाला 17 साल की उम्र में ही राजनीति से जुड गए। अपने राजनीति करियर में सुरजेवाला कई बार राज्य मंत्री और कैबिनेट के सदस्य रह चुके हैं।
राजनेता के घर हुआ रणदीप सिंह का जन्म
रणदीप सिंह सुरजेवाला जाट परिवार से संबंध रखते हैं। उनका जन्म 3 जून,1967 को चंडीगढ़ में हरियाणा के जाने-माने राजनेता पिता शमशेर सिंह सुरजेवाला के घर हुआ।
भले ही रणदीप सिंह का जन्म चंडीगढ़ में हुआ। लेकिन इनका पालन-पोषण हरियाणा के नरवाना में हुआ। रणदीप की माता विद्या देवी एक सामान्य भारतीय गृहणी है। रणदीप अपनी तीन बहनों में सबसे छोटे है।
रणदीप के पिता शमशेर सिंह सुरजेवाला 1967, 1977, 1982, 1991 और 2005 में हरियाणा विधान सभा के और 1993 में संसद सदस्य रहे।शमशेर सिंह सुरजेवाला को सरकार में कृषि मंत्रालय की ज़िम्मेदारी सौंपी गई थी। उनके पिता पांच बार विधायक और एक बार सांसद रह चुके हैं।
शमशेर सिंह सुरजेवाला ने अपनी आत्मकथा ‘मेरा सफर, मेरी दास्तां’ में लिखा है कि ‘रणदीप के जन्म के समय मैं सरकार में मंत्री था। ये महज इत्तेफ़ाक की बात है या फिर किस्मत का कनेक्शन है कि जब-जब रणदीप के जीवन में कोई महत्वपूर्ण मोड़ आया उस दौरान मैं मंत्री होता था।’
रणदीप सिंह का शैक्षणिक जीवन
रणदीप ने अपनी स्कूली शिक्षा आदर्श बाल मंदिर हाई स्कूल और हरियाणा के नरवाना में आर्य सीनियर सेकेंडरी स्कूल से उत्तीर्ण की।
रणदीप सिंह का शैक्षणिक जीवन
रणदीप ने अपनी स्कूली शिक्षा आदर्श बाल मंदिर हाई स्कूल और हरियाणा के नरवाना में आर्य सीनियर सेकेंडरी स्कूल से उत्तीर्ण की।
उन्होंने 1981 में चंडीगढ़ के डीएवी कॉलेज से बैचलर ऑफ कॉमर्स (ऑनर्स) की पढ़ाई की। पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ से बैचलर ऑफ लॉ (एलएलबी) किया। इसके बाद 1988 में, रणदीप ने 21 साल की उम्र में नई दिल्ली में लॉ फर्म “श्रॉफ एंड कंपनी” में अपना अभ्यास शुरू किया।
1991 में, उन्होंने पंजाब और हरियाणा के उच्च न्यायालय में अपना अभ्यास शुरू किया।1992 में, उन्हें पंजाब विश्वविद्यालय से सबसे कम उम्र के सीनेटर के रूप में नियुक्त किया गया था। वह विधि संकाय में संकाय सलाहकार समिति के सदस्य भी रहे हैं।
1991 में सुरजेवाला बंधे शादी के बंधन में
रणदीप सिंह 26 दिसंबर को गायत्री के साथ विवाह के बंधन में बंधे। गायत्री एक भारतीय गृहणी है। इनके दो बेटे अर्जुन और आदित्य है।
कम उम्र में बने यूथ विंग के जनरल सेकेट्री
रणदीप बचपन से ही अपने पिता के साथ राजनीति कार्यक्रमों में भाग लेने लगे। 17 साल की उम्र में सुरजेवाला को हरियाणा प्रदेश के कांग्रेस यूथ विंग का जनरल सेकेट्री नियुक्त किया गया।
6 साल बाद 2000 में रणदीप राजनीति में हरियाणा से आने वाले पहले ऐसे शख्स बने, जिन्हें इंडियन यूथ कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया था। सुरजेवाला इस पद पर पांच साल तक रहने वाले पहले अध्यक्ष बने। इसके बाद से शुरू हुआ उनका राजनीतिक सफर।
रणदीप सुरजेवाला की राजनीतिक यात्रा
रणदीप बचपन से ही कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए। उन्होंने हरियाणा में कांग्रेस के पुनर्निर्माण के लिए अपने पिता के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम किया।
- अप्रैल 1986 में, रणदीप को हरियाणा युवा कांग्रेस का संयुक्त सचिव और हरियाणा युवा कांग्रेस का महासचिव नियुक्त किया गया।
- 1993 में, उन्होंने हरियाणा विधानसभा उपचुनाव में नरवाना विधानसभा से अपना पहला चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए।
- 1996 में, उन्होंने हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला के खिलाफ हरियाणा विधानसभा चुनाव में भाग लिया और एक बड़ी जीत हासिल की।
- 2000 में, उन्होंने फिर से नरवाना विधानसभा चुनाव में भाग लिया और जीत हासिल की। इस दौरान उन्हें भारतीय युवा कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त किया गया।
- अगस्त 2004 में, उन्हें अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) का सचिव नियुक्त किया गया। हरियाणा विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले, उन्हें हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) का कार्यवाहक अध्यक्ष नियुक्त किया गया था।
- 2005 में, वह मौजूदा मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला के खिलाफ हरियाणा नरवाना विधानसभा चुनाव के विधायक चुने गए।
- मार्च 2005 में, सुरजेवाला भूपिंदर सिंह हुड्डा के नेतृत्व वाली हरियाणा सरकार में सबसे कम उम्र के कैबिनेट मंत्री बने।
- सितंबर 2007 में, उन्हें हरियाणा में ऊर्जा, पीडब्ल्यूडी और संसदीय कार्य मंत्री नियुक्त किया गया।
- 2009 में, वे नवगठित कैथल विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए; अगला परिसीमन।
- नवंबर 2009 में, उन्हें जल आपूर्ति और स्वच्छता विभाग, संसदीय कार्य, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना, विज्ञान और प्रौद्योगिकी और लोक निर्माण विभाग के लिए हरियाणा सरकार का कैबिनेट मंत्री नियुक्त किया गया था।
- 2014 में, उन्हें कैथल, हरियाणा से विधायक के रूप में फिर से चुना गया।
- जनवरी 2019 में, सुरजेवाला ने जींद विधानसभा क्षेत्र से हरियाणा विधानसभा उपचुनाव लड़ा, लेकिन भाजपा के कृष्ण लाल मिड्ढा से हार गए।
- कैथल विधानसभा सीट से 2019 हरियाणा विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन भाजपा के लीला राम से हार गए।
गांधी परिवार के विश्वाशपात्र
रणदीप अपने राजनीतिक करियर के शुरु से ही कांग्रेस पार्टी में अपनी जगह बनाये हुए हैं। उन्होंने हमेशा पार्टी का साथ दिया है। 2014 विधानसभा चुवान में खराब प्रदर्शन के समय भी अपनी सीट बचाने में कामयाब हुए थे। जिस वजह से रणदीप हमेशा से राहुल गांधी के विश्वाशपात्र रहे हैं।
किन विवादों ने घेरा रणदीप सुरजेवाला को
- अक्टूबर 2012 में, रणदीप सुरजेवाला के घर माली के रूप में काम करने वाले हिसार के माली की बेटी के लिए साथ बलात्कार हुआ, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित होने के बाद उसके पिता ने आत्महत्या कर ली। लड़की ने कहा कि घटना के बाद सुरजेवाला ने परिवार से बात नहीं की और न ही उनसे मिलने गए। उसने मीडिया से कहा कि अगर सुरजेवाला को घटना की जानकारी होती तो पुलिस अधिक कुशलता से काम करती। हालांकि सुरजेवाला ने कोई कार्रवाई नहीं की।
- फरवरी 2016 में, एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान, रणदीप ने 2001 के संसद हमले के दोषी “अफ़ज़ल गुरु” को “अफ़ज़ल गुरु जी” के रूप में संबोधित किया। जिसका वीडियो वायरल हो गया और उन्हें यह पूछने पर माफी मांगनी पड़ी कि उन्होंने एक आतंकवादी को इतने सम्मान के साथ क्यों संबोधित किया।
- फरवरी 2019 में, पुलवामा आतंकी हमले के बाद, सुरजेवाला ने ट्वीट किया कि “पाकिस्तान ने 5,000 से अधिक संघर्ष विराम उल्लंघन किए हैं, अब नरेंद्र मोदी का 56 इंच का सीना कहां है?” अपने ट्वीट के लिए उन्हें काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा, समाज के सभी गुटों के लोगों ने घोषणा की कि सीआरपीएफ जवानों के शोक के बजाय कांग्रेस आतंकी हमले का राजनीतिकरण कर रही है।
- 2022 में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने ‘सीता मैया के चीरहरण’ की बात कह डाली है। सुरजेवाला के इस बयान को बीजेपी नेताओं ने मुद्दा बना लिया। सुरजेवाला मीडिया के सामने ईडी, सीबीआई और इनकम टैक्स जैसी केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगा दिया।
कर्नाटक विधानसभा चुनाव की जीत में सुरजेवाला का अहम रोल
कर्नाटक में कांग्रेस की जीत में रणदीप सुरजेवाला की अहम भूमिका निभाई है। कांग्रेस ने 135 सीटों पर जीत दर्ज की। वहीं बीजेपी सिर्फ 66 और जेडीएस 19 सीटों पर ही जीत पाई है।
ऐसे में कर्नाटक में कांग्रेस की जीत से सुरजेवाला का कद और बढ़ गया है। जीत के बाद पहली बार जब सुरजेवाला हरियाणा पहुंचे तो उनके समर्थकों ने उन्हें सीएम बनाने तक की मांग कर ड़ाली।
जन्म | 3 जून, 1967 (चंडीगढ़) |
नाम | रणदीप सिंह सुरजेवाला |
गृह नगर | नरवाना, हरियाणा |
पिता का नाम | शमशेर सिंह सुरजेवाला |
माता का नाम | विधा देवी |
बहन | मधु दलाल (बड़ी ) पूनम चौधरी (बड़ी ) नीरु (मृत) |
पत्नी का नाम | गायत्री |
संतान | अर्जुन (बड़ा) आदित्य |
पेशा | राजनीतिज्ञ, वकील |
शुरुआत | हरियाणा युवा कांग्रेस के संयुक्त सचिव से |
प्रसिद्ध | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के मुख्य प्रवक्त्ता के रुप में |