दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में आई बाढ़ का जिम्मेदार हरियाणा को ठहराते हुए ठहराते हुए गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखा। दूसरी तरफ पर्यावरणविद इस चिंता में हैं कि आखिर यमुना नदी में 3 लाख 69 हजार क्यूसेक पानी दिल्ली में भयानक बाढ़ की वजह क्यों बना।
इस सबको देखते हुए सिटी तहलका के संवादाता ने पर्यावरणविद और यमुना नदी पर काम करने वाले सेवकों से बातचीत कर जानने की कोशिश की, कि आखिर इसकी क्या वजह है?
दिल्ली के सीएम ने हरियाणा के खिलाफ गृहमंत्री को लिखा पत्र
3 लाख 69 हजार क्यूसेक पानी से यमुना में बाढ़ आई जिसकी वजह से दिल्ली के कई क्षेत्र इसकी चपेट में आ गए। इस सब के लिए दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने हरियाणा को जिम्मेदार ठहराते हुए गृहमंत्री अमित शाह को एक पत्र लिखा है।
केजरीवाल ने पत्र में यह मांग की, कि हरियाणा के हथिनीकुंड बैराज से पानी कम छोड़ा जाए। सीएम का यह पत्र वास्तविक स्थिति से बिल्कुल ही अलग था, असल में उन्हें हथनीकुंड बैराज की सही स्थिति ही नहीं पता थी। हालांकि चार साल पहले भी यमुना में 8 लाख 28 हजार क्यूसेक पानी आया था, लेकिन तब भी इतनी भयानक स्थिति नहीं थी।
किस चिंता में हैं पर्यावरणविद?
दिल्ली की बाढ़ को लेकर इस सियासी आरोप के अलावा पर्यावरणविद तो एक दूसरी ही चिंता में हैं। उन्हें यह चिंता है कि आखिर यमुना नदी में 3 लाख 69 हजार क्यूसेक पानी दिल्ली में भयानक बाढ़ की वजह क्यों बना।
यमुना जियो अभियान के सदस्य ने दिया बयान
यमुना जियो अभियान के सदस्य भीम सिंह रावत ने बताते हुए कहा कि दिल्ली में बाढ़ का लेवल इस बार 3 लाख 69 हजार क्यूसेक पानी पर 208.66 पर पहुंच गया लेकिन चार साल पहले जब 8 लाख 28 हजार क्यूसेक पानी आया था तब पानी का लेवल 206 तक ही पहुंचा था और यह मार्किंग ओल्ड दिल्ली रेलवे स्टेशन में बाढ़ के पानी पर नजर रखने के लिए की गई है। उन्होंने यह भी कहा कि ‘2.66 पानी के स्तर का बढ़ने का सीधा मतलब यह है कि पानी को निकलने का रास्ता नहीं मिला, अब यह कमी तो दिल्ली के स्तर पर है न कि हथनी कुंड बैराज की’।
यमुना मित्र मंडल के अध्यक्ष राणा किरण सिंह ने बताया कि दिल्ली में बरसात भी इतनी ज्यादा नहीं थी। तो फिर क्यों जलस्तर बढ़ा, इस पर चर्चा और चिंता होनी चाहिए।