हरियाणा के जींद में जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान हिंसा में शामिल होने के आरोप में 14 लोग 9 साल बाद बरी हो गए। जींद की अतिरिक्त मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी पूजा सिंगला (ACJM) की कोर्ट ने यह ऐतिहासिक फैसला दिया, हालांकि इन युवाओं को बरी होने में काफी समय लग गया और उनके जीवन पर इसका गहरा असर पड़ा।
साल 2016 से 2025 तक, इन युवाओं ने 56 बार कोर्ट की पेशी का सामना किया, लेकिन 57वीं पेशी पर उन्हें बरी कर दिया गया। इस दौरान इनकी पढ़ाई, करियर और निजी जीवन पर गंभीर असर पड़ा। इनमें से कुछ युवाओं का कहना है कि पुलिस द्वारा नाम दर्ज किए जाने के बाद उन्हें सरकारी नौकरी में दिक्कतें आईं, और कुछ ने अपनी आर्मी की तैयारी तक छोड़ दी।

जाट आरक्षण आंदोलन के बाद, जींद जिले में कुल 103 लोगों पर केस दर्ज किए गए थे। इनमें से 90 से ज्यादा लोग पहले ही बरी हो चुके थे। पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज से आरोपियों की पहचान की और गिरफ्तारी की प्रक्रिया शुरू की थी। इसके बाद कोर्ट की सुनवाई 2016 में शुरू हुई, लेकिन इस दौरान इन युवाओं को विभिन्न तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा।

जिन 14 लोगों को बरी किया गया, वे सभी खोखरी गांव के निवासी हैं। इनमें से कुछ युवाओं का कहना है कि वे आंदोलन में शामिल नहीं थे और न ही उन्होंने किसी प्रकार की हिंसा में भाग लिया। इसके बावजूद उनके नाम इस मामले में जोड़े गए, और उन्हें कोर्ट की पेशी पर आने के लिए बार-बार यात्रा करनी पड़ी।

इन युवाओं का कहना है कि जाट आरक्षण आंदोलन से जुड़ी इस लंबी कानूनी लड़ाई के बाद, उनके करियर की कई उम्मीदें खत्म हो गईं। कुछ ने कहा कि उनके लिए सरकारी नौकरी के मौके छूट गए, और कुछ ने बताया कि वे विदेश जाने का प्लान भी छोड़ चुके थे।