SAMALKHA RADHA KRISHAN MANDIR

SAMALKHA के राधा कृष्ण मंदिर में सात दिवसीय श्रीमद भगवत कथा का किया जा रहा आयोजन, वृंदावन से आए विष्णु कृष्ण दास कर रहे कथा वाचन

धर्म पानीपत बड़ी ख़बर हरियाणा

(समालखा से अशोक शर्मा की रिपोर्ट) सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन समालखा के राधा कृष्ण मंदिर मे किया जा रहा है। यह आयोजन दिल्ली पुलिस के रिटार्यड अधिकारी राज कुमार कौशिक द्वारा करवाया जा रहा है। वृंदावन से आए कथा व्यास श्री विष्णु कृष्ण दास कथा वाचन कर रहे हैं। इससे पहले शहर में सैकड़ों महिलाओं द्वारा कलश यात्रा निकाली गई।

श्री विष्णु कृष्ण दास ने कथा के अवसर पर श्रद्धालुओं को प्रवचन करते हुए कहा कि श्रीमद् भागवत कथा के वाचन व श्रवण से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ती हो जाती है। संसार दु:खों का सागर है। प्रत्येक प्राणी किसी न किसी तरह से दुखी व परेशान है। कोई स्वास्थ्य से दुखी है,कोई परिवार, कोई धन, तो कोई संतान को लेकर परेशान है। सभी परेशानियों से मुक्ति पाने के लिए ईश्वर की आराधना ही एकमात्र मार्ग है। इसलिए व्यक्ति को अपने जीवन का कुछ समय हरिभजन में लगाना चाहिए।

भगवत कथा अमृत है

उन्होंने कहा कि भागवत कथा वह अमृत है, जिसके पान से भय,भूख, रोग व संताप सब कुछ स्वत: ही नष्ट हो जाता है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति को मन, बुद्धि, चित एकाग्र कर अपने आप को ईश्वर के चरणों में समर्पित करते हुए भागवत कथा को ध्यानपूर्वक सुनना चाहिए। श्रीमद भागवत कथा का श्रवण करने से जन्म जन्मांतर के पापों का नाश हो जाता है। श्रीमद भागवत कथा के श्रवण से महापापी धुंधुकारी का भी उद्धार हो गया।

WhatsApp Image 2023 11 20 at 13.46.54 92aef637

विष्णु कृष्ण दास ने धुंधकारी के बारे में बताया

विष्णु कृष्ण दास ने बताया कि धुंधुकारी अति दुष्ट था। उसके पिता आत्मदेव भी उसके उत्पातों से दुखी होकर वन में चले गए थे। धुंधुकारी वेश्याओं के साथ रहकर भोगों में डूब गया और एक दिन उन्हीं के द्वारा मार डाला गया। अपने कुकर्मों के फलस्वरूप वह प्रेत बन गया और भूख प्यास से व्याकुल रहने लगा। एक दिन व्याकुल धुंधुकारी अपने भाई गोकर्ण के पास पहुंचा और संकेत रूप में अपनी व्यथा सुनाकर उससे सहायता की याचना की।

गोकुर्ण धुंधुकारी के दुष्कर्मों को पहले से जानता था – विष्णु कृष्ण दास

गोकर्ण धुंधुकारी के दुष्कर्मों को पहले से ही जानते थे, इसलिए धुंधुकारी की मुक्ति के लिए गया श्राद्ध पहले ही कर चुके थे। लेकिन इस समय प्रेत रूप में धुंधुकारी को पाकर गया श्राद्ध की निष्फलता देख उन्होंने पुन:विचार विमर्श किया। अंत में विष्णु कृष्ण दास ने कहा स्वयं सूर्य श्रीमद्भागवत का पारायण कीजिए। उसका श्रवण मनन करने से ही मुक्ति होगी। इस अवसर पर राज कुमार कोशिक , सन्तोष देवी,रवि दत कौशिक, शांति,दीपक कोशिक,रीना कौशिक,पुष्पा जैन, डॉ देव व्रत, डॉ हरिव्रत, डॉ गार्गी, डॉ शिवानी आदि उपस्थित रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *