➤राव इंद्रजीत 75 के करीब, रिटायरमेंट की अटकलें।
➤आरती राव दक्षिण हरियाणा में सक्रिय, जनसभाएं तेज।
➤सियासी विरासत, सीएम पद या सांसद बनने की तैयारी?
हरियाणा की राजनीति इन दिनों नए मोड़ पर खड़ी नजर आ रही है। लोकसभा चुनाव को सवा साल और हरियाणा विधानसभा चुनाव को 10 महीने बीत चुके हैं। इस बीच अटेली से विधायक और हरियाणा की नायब सरकार में स्वास्थ्य मंत्री आरती राव दक्षिण हरियाणा में गांव-गांव धन्यवादी दौरों पर निकली हैं। यह राजनीतिक हलकों में यह सवाल उठा रहा है कि क्या यह सक्रियता उनके पिता राव इंद्रजीत सिंह की संभावित रिटायरमेंट का संकेत है, जो आने वाले छह महीनों में 75 वर्ष के हो जाएंगे?
राव इंद्रजीत: रिटायरमेंट के संकेत नहीं, पर सक्रियता तेज़
हालांकि राव इंद्रजीत ने खुद ऐसा कोई सार्वजनिक संकेत नहीं दिया है। बल्कि बीते 2-3 महीनों में उन्होंने अपनी राजनीतिक सक्रियता और बढ़ा दी है। लेकिन आरती राव की हालिया गतिविधियों की शैली और तीव्रता नई सियासी जमीन तैयार करती दिख रही है। वे अब तक नांगल चौधरी, अटेली, रेवाड़ी, कोसली, बावल और पटौदी में जनसभाएं कर चुकी हैं। हर इलाके में कार्यकर्ताओं के घर “चाय पर चर्चा” कार्यक्रम आयोजित कर रही हैं, जिनमें सामाजिक समीकरणों का भी विशेष ध्यान रखा जा रहा है। आरती ने हिसार और हांसी तक में भी कार्यक्रम किए, जहाँ यादव मतदाता निर्णायक माने जाते हैं।
सीएम के डिनर के बाद धन्यवादी दौरे, सियासी समीकरण तेज
15 जून को रेवाड़ी रैली के दौरान राव इंद्रजीत और मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के बीच मंच पर तल्खी देखने को मिली थी। इसके 3 दिन बाद राव इंद्रजीत ने चंडीगढ़ में 11 विधायकों को डिनर पर बुलाया। बढ़ते विवाद के बाद 14 जुलाई को आरती राव ने अपने चंडीगढ़ आवास पर मुख्यमंत्री और उनकी पत्नी को आमंत्रित किया। और ठीक 3 दिन बाद, 17 जुलाई से आरती राव ने धन्यवादी दौरे शुरू कर दिए। पहला पड़ाव नांगल चौधरी था — जो राव इंद्रजीत के सियासी प्रतिद्वंद्वी डॉ. अभय यादव का गढ़ रहा है।
भाषणों में पीएम की तारीफ, राज्य नेतृत्व पर चुप्पी
आरती राव के भाषणों में केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ होती है, लेकिन न तो पूर्व सीएम मनोहर लाल और न ही वर्तमान सीएम नायब सैनी का ज़िक्र होता है। यह रणनीति पिता राव इंद्रजीत की शैली से मेल खाती है, जो प्रदेश नेतृत्व की आलोचना करने से नहीं कतराते।
पिता जैसी मुखरता और नया आत्मविश्वास
आरती राव खुलकर कह रही हैं कि “हमने सरकार बनाई, हवा हमने बनाई थी।” यह संदेश स्पष्ट है — वे पिता की सियासी शैली में ही खुद को गढ़ना चाहती हैं। साथ ही वे कार्यकर्ताओं को कह रही हैं कि “किसी और के पास काम के लिए न जाएं, सीधे रामपुरा हाउस या चंडीगढ़ ऑफिस आएं” — यह सत्तासीन नेतृत्व का संकेत भी है।
🔍 राजनीतिक विश्लेषण: तीन संभावनाएं
राजनीतिक विश्लेषक नरेश चौहान इस पूरी कवायद को तीन संभावनाओं से जोड़ते हैं:
- सियासी विरासत का ट्रांसफर: राव इंद्रजीत चाहते हैं कि अब उनकी बेटी अहीरवाल की 60 साल पुरानी सियासी पहचान को आगे ले जाएं।
- सीएम की अधूरी महत्वाकांक्षा: इंद्रजीत सीएम नहीं बन पाए, वह अब आरती को इस दिशा में आगे बढ़ाना चाहते हैं। उनकी सियासी लॉन्चिंग की योजना 2014 से थी, लेकिन BJP की “एक परिवार एक टिकट” नीति आड़े आई।
- केंद्र की राजनीति में प्रवेश: राव चाहते हैं कि आरती भविष्य में गुरुग्राम से सांसद बनें और केंद्र में उनके स्थान को संभालें।
🏛 सियासी विरासत और परिवार की मौजूदगी
आरती राव के दादा राव बीरेंद्र सिंह हरियाणा के पहले विधानसभा अध्यक्ष और दूसरे मुख्यमंत्री रहे हैं। वे पगड़ी भेज कर वोट मंगवाने वाले करिश्माई नेता माने जाते थे। राव इंद्रजीत खुद कई बार सांसद रहे हैं। परिवार के अन्य सदस्य — राव अजीत सिंह, राव अर्जुन, राव यादवेंद्र — भी राजनीति में सक्रिय रहे हैं।
⚔️ अहीरवाल में चुनौती: कैप्टन अजय और नरबीर सिंह
राव परिवार को दो बड़े प्रतिद्वंद्वियों से चुनौती मिलती है:
- कैप्टन अजय यादव — रेवाड़ी से 6 बार विधायक और मंत्री, उनके बेटे राव चिरंजीव अब सक्रिय।
- राव नरबीर सिंह — बादशाहपुर विधायक, बीजेपी मंत्री और राव इंद्रजीत के धुर विरोधी।
इनके अलावा भूपेंद्र यादव को भी भाजपा ने कई बार अहीरवाल में सक्रिय किया है, ताकि संतुलन बना रहे।
🔄 75 वर्ष की नीति और BJP का ट्रेंड
BJP के भीतर 75 वर्ष पार करने वाले नेताओं को मार्गदर्शक मंडल में भेजने की परंपरा रही है।
- रामबिलास शर्मा (75) को टिकट नहीं मिला।
- रामकुमार गौतम (79) को अपवादस्वरूप टिकट मिला।
- अनिल विज (72+) अगले चुनाव तक 75 के पार होंगे।
ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि क्या राव इंद्रजीत सिंह भी 75 की उम्र में ‘मार्गदर्शक’ बनाए जाएंगे? और क्या आरती राव की यह सक्रियता उसी बदलाव की पूर्व भूमिका है?