Ashok Tanwar

Haryana विधानसभा चुनाव से पहले Ashok Tanwar ने साढे 4 साल में तीसरी दफा पार्टी बदली, भाजपा का थामा दामन

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हरियाणा के पूर्व सांसद डॉ. अशोक तंवर ने भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए। उन्हें शनिवार को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष नायब सैनी ने पार्टी में शामिल करवाया। इस मौके पर सीएम ने पटका पहनाकर उनका स्वागत किया और उन्हें अपना भांजा बताया।

इस दौरान तंवर ने शामिल होने के बाद कहा कि हमारा सौभाग्य है कि हम उस समय भाजपा में शामिल हो रहे हैं, जब 22 तारीख को अयोध्या में रामलला विराजमान होने वाले हैं। पिछले 10 सालों में प्रधानमंत्री मोदी की नीतियों ने देश को नई ऊंचाई दी है। मोदी के नेतृत्व में देश लगातार विकास की ओर बढ़ रहा है। हम सभी मिलकर काम करेंगे और 2024 के चुनाव में सारे रिकॉर्ड तोड़ देंगे। वर्ष 2019 में हरियाणा विधानसभा चुनाव से ठीक पहले तंवर ने कांग्रेस को छोड़कर साढे 4 साल में तीसरी दफा पार्टी बदली है। 2019 में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा से नाराज होकर तंवर ने अपना भारत मोर्चा बनाया और नवंबर 2021 में ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस में चले गए। तृणमूल कांग्रेस में कुछ महीने रहने के बाद वह 4 अप्रैल 2022 को अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए। केजरीवाल ने उन्हें हरियाणा में आप की कैंपेन कमेटी का चेयरमैन बनाया, मगर लगभग पौने 2 साल वहां रहने के बाद अब तंवर ने भाजपा का दामन थाम लिया।

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पहले किया विरोध, अब किया स्वागत

सिरसा से सांसद रह चुके अशोक तंवर वर्ष 2009 में कांग्रेस के टिकट पर सिरसा से लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं। बीजेपी उन्हें इस बार इसी सीट से लोकसभा चुनाव में उतार सकती है। हालांकि सिरसा से भाजपा की मौजूदा सांसद सुनीता दुग्गल अशोक तंवर का विरोध कर रही हैं। सुनीता दुग्गल ने पिछले दिनों इस मुद्दे पर पार्टी के प्रदेश प्रभारी बिप्लब देव से नई दिल्ली में मुलाकात भी की थी। भाजपा जॉइनिंग से पहले तंवर ने कहा था कि वे टिकट की मंशा से बीजेपी में नहीं जा रहे, वह पार्टी का मजदूर बनकर जा रहे हैं और पार्टी जहां कहेगी, वहां जाकर मजदूरी करेंगे। सिरसा से भाजपा सांसद सुनीता दुग्गल ने तंवर के पार्टी में आने पर स्वागत किया। तंवर के सिरसा लोकसभा से चुनाव लड़ने पर दुग्गल ने कहा कि यह सब फैसला हाईकमान करता है।

किसी समय राहुल गांधी के करीबी नेताओं में होती थी गिनती

अशोक तंवर ने 18 जनवरी को ही आम आदमी पार्टी छोड़ने का ऐलान किया था। उन्होंने अपने इस्तीफे में कहा था कि इंडिया अलायंस के तहत आप और कांग्रेस के बीच जो गठजोड़ हुआ है, उसके बाद वह नैतिकता के नाते आम आदमी पार्टी में नहीं रह सकते, इसलिए पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहे हैं। कांग्रेस से पॉलिटिकल करियर शुरू करने वाले डॉ. अशोक तंवर की गिनती किसी समय राहुल गांधी के करीबी नेताओं में होती थी। उस समय उन्हें हरियाणा के उभरते युवा राजनेता के रूप में देखा जाता था, लेकिन पूर्व सीएम हुड्डा से अनबन के चलते उन्हें अंतत: कांग्रेस से बाहर होना पड़ा। उसके बाद उनकी पॉलिटिकल गाड़ी एक तरह से पटरी से ही उतर गई।

राजनीति में रिलॉन्च करने की एक और कोशिश

सियासत में खुद को रिलॉन्च करने की कोशिश हरियाणा की राजनीति पर पैनी नजर रखने वाले करनाल के दयाल सिंह कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल डॉ. रामजी लाल कहते हैं कि यह तंवर की खुद को राजनीति में रिलॉन्च करने की एक और कोशिश है। डॉ. रामजी लाल के मुताबिक तंवर बेशक दलित समुदाय से आते हैं, मगर न तो उनकी बड़े दलित नेता के रूप में पहचान है और न ही उन्होंने सियासत में अब तक कोई ऐसा काम किया है जो उन्हें हरियाणा के बड़े नेता के तौर पर स्थापित कर सके। हरियाणा में दलितों के उत्पीड़न की कई घटनाएं हुई, लेकिन तंवर वहां कभी नजर नहीं आए। उन्हें बस एक मजबूत राजनीतिक मंच की तलाश थी, जो शायद अब बीजेपी में पूरी हो जाए।

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