Haryana सरकार के ग्रामीण विकास विभाग द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों के लोगो को आजीविका मुहैया करवाने के उद्देश्य से शुरू की गई मनरेगा योजना अब ग्रामीणों के लिए वरदान साबित हो रही है। ऐसे व्यक्ति जिनके पास कोई रोजगार नहीं है, उन्हें इस योजना के तहत 100 दिनों का रोजगार दिया जाता है तथा गांव से जुड़े हुए मिट्टी खुदाई, कच्चे रास्तों को पक्का करना, नहरों की सफाई करना सहित विभिन्न कार्य इसमें शामिल हैं।
मनरेगा योजना के तहत भिवानी में कार्य जोरो पर है। नवंबर-दिसंबर माह में मनरेगा के तहत प्रति वर्ष नहरों की सफाई करवाई जाती है। इसी के चलते भिवानी जिला के गांव किरावड़ मे भुरटाना माईनर पर नहरों की सफाई का कार्य जोरों से चलाया जा रहा है। भिवानी के बवानीखेड़ा विभाग के नहरी विभाग के एसडीओ राकेश व खंड विकास पंचायत अधिकारी भजनलाल शर्मा ने बताया कि मनरेगा के तहत भुरटाना माईनर पर सफाई का कार्य करवाया जा रहा है।
सफाई में मनरेगा मजदूरों की मुख्य भूमिका
यह माईनर सुंदर ब्रांच नहर का एक पार्ट है, जिसमें मोहला हैड से पानी आता है। प्रति वर्ष की भांति नहरों की सफाई कार्य मनरेगा मजदूरों के माध्यम से करवाया जा रहा है ताकि अंतिम टेल तक पानी पहुंचे तथा किसानों को सिंचाई व ग्रामीणों को पीने के पानी मुहैया करवाया जा सकें। सफाई के बाद पानी का फलो तेज होता है। जिसकी सफाई में मनरेगा मजदूरों की मुख्य भूमिका है।
मनरेगा के तहत ग्रामीणों को 100 दिन का रोजगार दिया जा रहा है। इसी के तहत यह कार्य चालू है तथा मजदूरों को 374 रूपये प्रति दिन मजदूरी दी जा रही है तथा ऑनलाईन माध्यम से हाजिरी लगाने के साथ ही मनरेगा मजदूरों के खातों में सीधे पैसे डाले जाते है। अकुशल कार्य के लिए मनरेगा के मजदूरों का प्रयोग सबसे अधिक किया जाता है। उन्होंने बताया कि 18 वर्ष से ऊपर की आयु का कोई भी व्यक्ति ग्राम पंचायत में अपना आवेदन देकर अकुशल श्रम के रूप में मनरेगा के 100 दिन का कार्य पा सकता है।
मनरेगा का जॉब कार्ड बनाया जाता है
इसके लिए मनरेगा का जॉब कार्ड बनाया जाता है। जिसमें बैक खाता व आधार लिंक जोडक़र ऑनलाईन हाजिरी लगने के बाद खाता धारक के खाते में पैसे आ जाते है। वहीं काम में लगे मनरेगा मजदूर अंगूरी देवी, विजेंद्र, बबीता व रणधीर ने बताया कि उन्हे मनरेगा के तहत 100 दिन का कार्य मिला हुआ है।
आज वे नहर की सफाई का कार्य कर रहे है। उनके खातों में सीधे बगैर बिचौलियों के पैसे सरकार डालती है तथा उन्हे 100 दिन का रोजगार प्रति वर्ष मिलता है। इससे उनके परिवार का गुजर-बसर अच्छा चल जाता है।