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रिटायरमेंट के बाद भी सेवा का संकल्प—पूर्व DIG ने ठेले से उठाया शहर की सफाई का बीड़ा, पड़ोसी बोले – “यह पागलपन नहीं, सेवा भाव है”

चंडीगढ़

➤चंडीगढ़ के 88 वर्षीय रिटायर्ड IPS अधिकारी इंदरजीत सिंह सिद्धू का वीडियो वायरल—कचरा उठाते दिखे ठेले पर।

➤DIG पद से रिटायर होने के बाद भी शहर की सफाई को लेकर जिम्मेदारी खुद निभाते रहे।

➤पड़ोसियों ने कहा, यह “पागलपन” नहीं, बल्कि शहर से सच्चा प्रेम था।

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सेवा का जज़्बा उम्र नहीं देखता। यह बात साबित कर दी है 88 वर्षीय रिटायर्ड IPS अधिकारी इंदरजीत सिंह सिद्धू ने, जिनका एक वीडियो हाल ही में चंडीगढ़ के सेक्टर 49 से वायरल हुआ। इस वीडियो में सिद्धू साहब को ठेले पर कचरा उठाते हुए देखा गया, जिससे पूरे इलाके में चर्चा का विषय बन गए।

इस वायरल वीडियो ने जहां कुछ लोगों को हैरान किया, वहीं कई लोगों के लिए यह प्रेरणा का स्रोत बन गया। सवाल उठा—DIG रैंक का एक अधिकारी, वो भी इस उम्र में, कचरा क्यों उठा रहा है? इसके जवाब में खुद सिद्धू साहब की जीवनशैली और सोच बयां करती है कि यह केवल काम नहीं, एक सोच थी—’शहर के लिए कुछ करने की’।

क्यों कर रहे थे ऐसा?

सिद्धू साहब को चंडीगढ़ की सफाई रैंकिंग और व्यवस्था से गहरी शिकायत थी। लेकिन उन्होंने आलोचना करने के बजाय खुद जिम्मेदारी उठाई। जहां भी गंदगी दिखती, वह झाड़ू लेकर या ठेला लेकर पहुंच जाते और सफाई शुरू कर देते।

उनके पड़ोसी बताते हैं, “लोग उन्हें पागल कहते थे, लेकिन हमने उन्हें कभी मानसिक रूप से असंतुलित नहीं पाया। वो जहां गंदगी दिखती, सफाई के लिए तुरंत पहुंच जाते थे। उनका यह काम समाज के लिए प्रेम और जिम्मेदारी का प्रतीक था।”

कौन हैं इंदरजीत सिंह सिद्धू?

  • 1963 में पुलिस सेवा में भर्ती हुए
  • 1981 में भारतीय पुलिस सेवा (IPS) में प्रमोट
  • आतंकवाद के दौर में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाईं
  • 1987 से 1996 तक चंडीगढ़ में DIG, CID के रूप में कार्यरत रहे
  • 1996 में रिटायर हुए, लेकिन समाज सेवा जारी रखी

उनके करियर में उन्होंने आतंकवाद के दौर में महत्वपूर्ण रणनीतिक काम किए और वरिष्ठ पदों पर रहते हुए अपनी निष्ठा और कर्तव्यपरायणता से पहचान बनाई। लेकिन रिटायरमेंट के बाद भी उनकी सेवा भावना थमी नहीं। उन्होंने खुद को समाजसेवा में झोंक दिया, विशेषकर स्वच्छता के क्षेत्र में।

अब कहां हैं सिद्धू साहब?

वीडियो वायरल होने के बाद, अब इंदरजीत सिंह सिद्धू अपनी बेटी और दामाद के साथ रह रहे हैं। हालांकि वह अब सार्वजनिक रूप से सफाई कार्य में नहीं दिखते, लेकिन सेक्टर 49 की गलियों में उनका नाम और विचार आज भी जीवित हैं। स्थानीय लोग उन्हें “सच्चा सेवक” और “मौन प्रेरणा” मानते हैं।