पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता बीरेंद्र सिंह ने जाट आरक्षण को लेकर बड़ा बयान दिया है। बीरेंद्र सिंह का कहना है कि वह आरक्षण का महत्व में सिर्फ नौकरियों और शिक्षा में नहीं मानते। इस देश की अर्थव्यवस्था में भी एक ऐसा प्रावधान हो। आर्थिक सुधारों का फायदा किसान और कमेरे वर्ग को अभी तक नहीं हुआ है।
बीरेंद्र सिंह ने कहा कि मेहनत हम करें, खून पसीना हमारा बहे, सीमा पर और खेत में हम खड़े हों और जब देश की दौलत बंटने लगे तो या तो सरमाएदार जिसकी फैक्टरी हो या फिर या कोई ट्रैंड है या कॉमर्स एक्टिविटी है। इन्हीं लोगों पर अगर आप यह कहें कि 4 ट्रिलियन की इकोनॉमी बन गई और 5 ट्रिलियन की बनने जा रही है। तो फिर 70 प्रतिशत आबादी कहा है?
जाटों से निकली बिरादरी आरक्षण की मांग में हो शामिल
पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह ने कहा कि वह अपने आरक्षण को और वाइडर रेंज में देखते हैं। उनकी मांग 40 साल पुरानी है। चाहे कांग्रेस की सरकार रही हो या फिर गठबंधन और भाजपा की सरकार। हमें आरक्षण नहीं मिला है। सिख जाट, बिश्नोई जाट, राजस्थान-गुजरात के चौधरी और पाकिस्तान में बैठे मुस्लिम जाट यह हमारी ही बिरादरी से निकले हैं। जाटों से निकली इन बिरादरियों को भी आरक्षण की मांग में शामिल होना चाहिए। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में बैठे मुस्लिम जाट भी हमारी कौम हैं। अगर पाकिस्तान में बैठे हैं तो यह थोड़े है कि उनका धर्म अलग है। हमें उनके आर्थिक सुधारों के बारे में भी बात करनी चाहिए। हमारा डीएनए एक है।
जाट अधिवेशन में पहुंचे थे बीरेंद्र सिंह
बता दें कि बीरेंद्र सिंह दिल्ली में जाट अधिवेशन में शामिल होने पहुंचे थे। इसके बाद उन्होंने पत्रकारों के साथ बातचीत में यह बयान दिए। बता दें कि बीरेंद्र सिंह की गिनती जाटों के बड़े नेताओं में होती है। कई दशक कांग्रेस पार्टी में रहने के बाद वह वर्ष 2014 में भाजपा में शामिल हो गए थे। केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद वह केंद्रीय मंत्री भी बने। फिलहाल उनके बेटे बृजेंद्र सिंह हिसार से सांसद हैं। कुछ समय से बीरेंद्र सिंह भाजपा में रहकर ही असहज दिख रहे हैं। अक्तूबर में उन्होंने जींद में रैली कर हरियाणा में भाजपा की गठबंधन सहयोगी जजपा पर भ्रष्टाचार जैसे गंभीर आरोप लगाए थे। इतना ही नहीं वह जजपा से नाता नहीं तोड़ने पर भाजपा छोड़ने की चेतावनी भी दे चुके हैं।