➤सोनीपत के मोहित ने बोन कैंसर के कारण एक टांग गंवाने के बाद भी बॉडी बिल्डिंग, पावरलिफ्टिंग और मॉडलिंग में राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सफलता हासिल की।
➤कृत्रिम टांग को भी हटाकर सिर्फ एक पैर पर मेहनत करते हुए मिस्टर हरियाणा, मिस्टर वर्ल्ड सहित 100+ मेडल अपने नाम किए।
➤अब पैरा ओलंपिक की तैयारी कर रहे मोहित 200 किलोमीटर लंबी ‘दंडवत कांवड़ यात्रा’ भी कर रहे हैं, जिसमें रोज 2 किलोमीटर लेटकर चलते हैं।
हरियाणा के सोनीपत जिले के 24 वर्षीय मोहित की जिंदगी किसी जीवंत प्रेरणा से कम नहीं है। एक वक्त था जब उन्होंने बचपन में भारतीय सेना में जाने का सपना देखा था, लेकिन एक भयानक मोड़ पर आकर उनकी जिंदगी बदल गई। मात्र 15 वर्ष की उम्र में बोन कैंसर ने उनकी दाहिनी टांग छीन ली और उनके सारे सपने चकनाचूर हो गए। मगर मोहित ने हालात के आगे घुटने टेकने के बजाय उनसे लड़ने का फैसला किया।
सोनीपत के विशाल नगर गली नंबर-3 में रहने वाले मोहित के परिवार में माता-पिता, भाई और भाभी हैं। वे दसवीं कक्षा से ही सेना की तैयारी कर रहे थे। कुश्ती और दौड़-भाग उनका दैनिक अभ्यास था। 12वीं के बाद उन्होंने मेडिकल लैब टेक्नीशियन का डिप्लोमा किया और एक अस्पताल में नौकरी भी की।
साल 2010 में मोहित को बोन कैंसर का पता चला। दिल्ली में इलाज के बाद कुछ समय तक वे ठीक रहे, लेकिन 2015 में कैंसर दोबारा लौटा। इस बार स्थिति बेहद गंभीर थी — पैर की हड्डी गल चुकी थी और एक झटके में जोड़ टूट गया। अंततः डॉक्टरों को उनकी जांघ से नीचे की पूरी टांग काटनी पड़ी।
डॉक्टरों ने कृत्रिम टांग लगाने की सलाह दी, जिसे मोहित ने मान लिया। लेकिन कृत्रिम टांग के साथ जीवन आसान नहीं था। करीब 5 साल तक उन्होंने इसके सहारे जीने की कोशिश की, मगर अंदर ही अंदर वह टूटते जा रहे थे।
इसी दौरान एक दिन उन्होंने यूट्यूब पर एक दिव्यांग बॉडी बिल्डर का वीडियो देखा। उस वीडियो ने मोहित की सोच ही बदल दी। उन्होंने ठान लिया कि वे भी अपने जीवन में कुछ बड़ा करेंगे।
मोहित ने कृत्रिम टांग को हटा दिया और एक ही पैर पर जिम में घंटों पसीना बहाना शुरू कर दिया। उन्होंने बॉडी बिल्डिंग, पावर लिफ्टिंग और मॉडलिंग के क्षेत्र में एक से बढ़कर एक उपलब्धियां हासिल कीं। मिस्टर हरियाणा, मिस्टर यूपी और मिस्टर वर्ल्ड जैसे प्रतिष्ठित खिताब जीतने वाले मोहित अब तक 100 से अधिक मेडल अपने नाम कर चुके हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने उन्हें सम्मानित करते हुए सरकारी नौकरी का आश्वासन दिया, लेकिन अभी तक उन्हें किसी प्रकार की सरकारी सहायता नहीं मिली है।
फिर भी मोहित का हौसला बरकरार है। उनका कहना है, “जो रुकते नहीं, वही इतिहास बनाते हैं।”
सावन के इस पवित्र महीने में मोहित हरिद्वार से सोनीपत तक 200 किलोमीटर लंबी ‘दंडवत कांवड़ यात्रा’ कर रहे हैं। इस यात्रा में वे हर दिन लगभग 2 किलोमीटर तक भूमि पर लेटकर आगे बढ़ते हैं — यह न केवल उनकी आस्था, बल्कि उनके आत्मबल और अनुशासन का प्रतीक है।
अब मोहित का अगला लक्ष्य पैरा ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करना है। वे दिन-रात कड़ी मेहनत कर रहे हैं और अपने संघर्ष की मिसाल से समाज को यह संदेश दे रहे हैं कि
“शारीरिक बाधाएं केवल शरीर में होती हैं, मन अगर मजबूत हो, तो हर असंभव को संभव बनाया जा सकता है।”