Farmers' protest

किसान आंदोलन फिर उबाल पर, केंद्र की नई कृषि नीति को लेकर गुस्से में किसान, सरकार पर धोखाधड़ी का आरोप

हरियाणा पानीपत

पानीपत-संयुक्त किसान मोर्चा तालमेल कमेटी के प्रतिनिधिमंडल ने करनाल लोकसभा क्षेत्र के सांसद श्री मनोहर लाल खट्टर के प्रतिनिधि को एक महत्वपूर्ण ज्ञापन सौंपा, जिसमें केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित किसान विरोधी, राज्य सरकार विरोधी कृषि विपणन नीति को निरस्त करने की मांग की गई। इसके साथ ही, एनडीए 2 सरकार द्वारा किए गए वादों को पूरा करने की भी अपील की गई।

इस प्रतिनिधिमंडल में प्रमुख नेता जैसे पूर्व भारतीय किसान यूनियन के प्रधान जयकरण कादयान, सीटू मजदूर संगठन के राज्य सचिव सुनील दत्त, अखिल भारतीय किसान सभा के जिला प्रधान डॉ. सुरेंद्र मलिक और अन्य प्रमुख सदस्य शामिल थे।

केंद्र सरकार द्वारा जारी किया गया कृषि विपणन नीति का ढांचा एनपीएफएएम, किसानों के विरोध का कारण बन गया है। यह नीति कार्पोरेट घरानों और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के नियंत्रण में कृषि क्षेत्र को लाने का प्रयास है, जिससे सरकारी मंडियों की जगह प्राइवेट मंडियां स्थापित की जा सकती हैं। यह बदलाव, किसानों के संघर्ष और शहादत को एक नई चुनौती दे सकता है।

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किसान नेताओं ने सरकार पर आरोप लगाया कि उसने 9 दिसंबर 2021 को किसानों से किए गए वादे पूरे नहीं किए हैं, जिसमें एपीएसपी सी2+50% फसल खरीद गारंटी, बिजली निजीकरण न करने और एमएसपी लागू करने की बात की गई थी।

वहीं, 2024-25 के संशोधित कृषि बजट में कटौती की गई है। फसल बीमा योजना में 3621.73 करोड़ की कमी, खाद पर मिलने वाली सब्सिडी में 26000 करोड़ की कमी और बिजली के निजीकरण का विरोध भी जारी है। किसानों का कहना है कि स्मार्ट मीटर हटाए जाएं और किसानों को 300 यूनिट फ्री बिजली दी जाए।

किसान मोर्चा ने रोजगार के अवसर बढ़ाने और गांव से शहरों की ओर पलायन रोकने की भी मांग की है। उनका कहना है कि मनरेगा के तहत 200 दिन काम मिले और मजदूरी ₹600 प्रति दिन हो।

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