हरियाणा के Faridabad जिले के गांव दिगोह निवासी 24 वर्षीय गगनप्रीत सिंह को अमेरिका से भारत लौटने में 32 घंटे से अधिक का समय लगा। गगनप्रीत के अनुसार, अमेरिका से भारत लौटते वक्त प्लेन में कुल 104 लोग थे। वह 2 फरवरी को सुबह 4 बजे अमेरिका से रवाना हुए थे, और पहले छह घंटे की यात्रा के बाद उन्हें विमान से उतारा गया। इसके बाद फिर छह घंटे की यात्रा के बाद एक बार और विमान से उतारा गया। इसके बाद 12 घंटे से अधिक समय तक विमान यात्रा जारी रही।
हथकड़ी में यात्रा और खाने का अनुभव
गगनप्रीत ने बताया कि यात्रा के दौरान उनके दोनों हाथ और पैरों में हथकड़ी लगी हुई थी, जिससे वह खाने के लिए भी हथकड़ी लगे हाथों से खाना खाते थे। प्लेन में उन्हें चावल, चिकन, मछली और ब्रेड दिए गए थे, जिन्हें वे ब्रेड के साथ ही खाते थे। इसके अलावा, टॉयलेट जाने के लिए प्लेन के स्टाफ ने उन्हें लेकर जाया और वापस छोड़ दिया।
स्टाफ का व्यवहार और फोन जब्ती
गगनप्रीत ने कहा कि प्लेन के सवार स्टाफ का व्यवहार ठीक था, लेकिन उन्हें खड़े होने की अनुमति नहीं दी जा रही थी, क्योंकि उन्हें प्रोटोकॉल का उल्लंघन मानते हुए खड़ा नहीं होने दिया जाता था। उन्होंने यह भी बताया कि स्टाफ ने किसी भी यात्री को फोन रखने की अनुमति नहीं दी। सभी फोन डिटेंशन सेंटर में ले जाने से पहले जब्त कर लिए गए थे।
अमेरिका से डिटेंशन सेंटर और डिपोर्टेशन
गगनप्रीत सिंह ने बताया कि वह 17 दिसंबर को फ्रांस गए थे और वहां से स्पेन होते हुए 22 जनवरी को अमेरिका पहुंचे। वहां पहुंचने के कुछ ही समय बाद अमेरिकन आर्मी ने उन्हें गिरफ्तार कर डिटेंशन सेंटर में रखा। 2 फरवरी को अमेरिकी सरकार के आदेश पर उन्हें भारत वापस भेज दिया गया।
गगनप्रीत का घर लौटना और परिवार की खुशी
गगनप्रीत सिंह 2 फरवरी को सकुशल अपने घर लौट आए। उनके घर लौटने पर परिवार ने राहत की सांस ली, और गांव के सरपंच व अन्य ग्रामीण गगनप्रीत से जानकारी लेने पहुंचे। गगनप्रीत ने बताया कि वह इंग्लैंड में स्टडी वीजा पर गए थे और वहां पिज्जा हट में काम करते हुए अपनी यूनिवर्सिटी की फीस का खर्च उठा रहे थे। हालांकि, फीस की पूरी रकम जुटाने में असफल होने पर उन्होंने डंकी के रास्ते अमेरिका जाने का मन बनाया था, और एजेंट को 16 लाख रुपए दिए थे।
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पिता का बयान और भारत में नौकरी की उम्मीद
गगनप्रीत के पिता सुखविंद्र सिंह ने बताया कि उन्होंने बेटे को घर की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए विदेश भेजा था। इसके लिए उन्होंने अपनी जमीन का कुछ हिस्सा भी बेचा था, और कुल मिलाकर 50 लाख रुपये से अधिक खर्च किए थे। अब वह चाहते हैं कि भारत में उनके बेटे को नौकरी मिले ताकि उन्हें भविष्य को लेकर कोई चिंता न हो।
पुलिस ने किया वेरिफिकेशन
गगनप्रीत के गांव लौटने की जानकारी मिलने पर भूना पुलिस ने उसके घर वेरिफिकेशन के लिए पहुंची। हालांकि, गगनप्रीत घर पर नहीं मिले, लेकिन बाद में पुलिस ने उनके पिता का बयान लिया और गगनप्रीत से फोन पर बातचीत की। फिर गगनप्रीत ने पुलिसकर्मियों के पास जाकर अपना बयान दर्ज करवाया।