हरियाणा के हिसार स्थित जिंदल अस्पताल में मंगलवार सुबह पूर्व विधायक Karam Singh Dangra ने अंतिम सांस ली। वे दो दिनों से बीमार थे और अस्पताल में भर्ती थे। 14 अगस्त 1920 को फतेहाबाद जिले के डांगरा गांव में जन्मे कर्म सिंह ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1963 में गांव के सरपंच के रूप में की।
क्या है उनके संघर्ष की कहानी?
कर्म सिंह डांगरा की पहचान सादगी और ईमानदारी से भरे एक नेता के रूप में रही। 1977 में उन्होंने टोहाना विधानसभा सीट से जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव जीता। 1986 में चौधरी देवीलाल के आह्वान पर न्याय युद्ध के तहत दिल्ली तक पैदल यात्रा की और संघर्ष का परिचय दिया।
सादगीपूर्ण जीवन और क्षेत्र की सेवा
कर्म सिंह ने 1952 से ही पंचायत और सहकारी बैंकों में अपनी सेवा शुरू की। उन्होंने 1960 से 1971 तक गांव के सरपंच के रूप में जिम्मेदारी निभाई और कई सहकारी संस्थानों में अध्यक्ष और सदस्य के रूप में काम किया। 1987-88 में वे हरियाणा खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के चेयरमैन भी रहे। चौधरी देवीलाल के साथ मिलकर उन्होंने कई आंदोलनों में हिस्सा लिया। 1986 में रास्ता रोको आंदोलन में वे जेल भी गए। उनके संघर्षमय जीवन की कहानियां आज भी प्रेरणा का स्रोत हैं।
परिवार और अंतिम संस्कार की जानकारी
कर्म सिंह डांगरा तीन बेटों के पिता थे, जिनमें से एक का पहले ही निधन हो चुका है। उनका अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव डांगरा में मंगलवार को तीन बजे किया जाएगा। सहकारिता से राजनीति तक, कर्म सिंह डांगरा का जीवन संघर्ष और सेवा का प्रतीक है। उनकी सादगी और ईमानदारी के किस्से उन्हें हमेशा जीवित रखेंगे।