सरकार ने अनाज चोरी की समस्या से मुकाबला करने के लिए एक मास्टरस्ट्रोक तैयार किया है। विभाग अब अनाज चोरी की चुनौती से निपटने के लिए जीपीएस सिस्टम का सहारा लेगा और इसी कड़ी में कुल 25 हजार से भी ज्यादा ट्रकों में जीपीएस सिस्टम को लगाया जाएगा। लिहाजा सरकार के पास अब अनाज के ट्रकों को ट्रैक करने की सक्षमता होगी। इस अति महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट के तहत, अनाज ले जाने वाले वाहन चालकों, जिसमें मुख्यता गेहूं और चावल की जवाबदेही तय हो सकेगी। जानकारी के मुताबिक इस प्रोजेक्ट पर सरकार की ओर से करीब 37.5 लाख रुपये खर्च किए जाएंगे।
सरकार ने इस प्रोजेक्ट के लिए टेंडर निकाल रखे हैं, जो अभी अंतिम चरण में हैं। ट्रैकिंग सिस्टम सरकार के नियमों के तंत्र का एक हिस्सा है। खाद्यान्न विभाग के एक अधिकारी ने सरकार के इस प्रोजेक्ट पर जानकारी देते हुए कहा कि इससे अनाज की आवाजाही, अनाज चोरी और डायवर्जन पर नजर रखने में मदद मिलेगी। साथ ही यह भी सुनिश्चित हो सकेगा कि अनाज खराब हुए बिना अपने तय गंतव्य तक पहुंचें। इसके अलावा यह ट्रक की यात्रा का विस्तृत रिकॉर्ड प्रदान करेगा। जिससे अनाज चोरी के मामलों की तुरंत जांच और निवारण करने में भी मदद मिलेगी।
केंद्रीय निगरानी में होगा ट्रकों का सुपरविजन
जहां ट्रैकिंग प्रणाली अनाज की पारदर्शी खरीद को सुनिश्चय करेगी, वहीं रिसाइकिलिंग और फेक बिलिंग को रोकने में भी काफी मदद करेगी। ट्रैकिंग सिस्टम तकनीक से लेस है। इसमें हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर और संचार प्रौद्योगिकियों का एक संयोजन और समन्वय है। अधिकारी ने बताया कि निगरानी प्रणाली के हिस्से के रूप में मानचित्र पर वाहनों की वास्तविक समय की प्लॉटिंग को एक सॉफ्टवेयर में एकीकृत किया जाएगा, जिसे निगरानी केंद्रों द्वारा ट्रैक किया जा सकता है।
चूंकि मंडी में फसल बिक्री शुरु होने के पहले सरकार के आगे एक बहुत ही बड़ी चुनौती अनाज को चोरी होने से बचाने की होती है। रुस यूक्रेन युद्ध के समय से सरकारी अनाज कोष में अनाज की कमी से सरकार जूझ रही है। जिस पर ये अनाज चोरी का संकट और कौतहूल में डालने वाला है।