भिवानी के हलवासिया विद्यालय का मामला भारत की उच्चतम न्यायालय में पहुंचा गया है। दीवान चंद रहेजा प्रशासक को बदला जाए या नहीं, इसका फैसला अब उच्चतम न्यायालय करेगी। हलवासिया विद्या विहार जिसने शिक्षा के क्षेत्र में पूरी दुनिया में अपने नाम का डंका बजा रखा हैं।
विद्यालय की 600 करोड़ की संपति और इसके अस्तित्व को बचाने को चल रहा भिवानी सुधार एवं विकास समिति का मुकदमा उच्चतम न्यायालय में पहुंच गया। जन कल्याण ट्रस्ट कोलकाता की ओर से उच्चतम न्यायालय में दायर याचिका में दलील दी गई हैं कि प्रशासक दीवान चंद रहेजा को उच्च न्यायालय द्वारा दोषी पाए जाने पर भी बदला नहीं गया हैं। जिस पर सुनवाई करते हुए उच्चतम न्यायालय ने संबंधित पक्षों को नोटिस जारी किया हैं।
बता दें कि हलवासिया विद्या विहार विद्यालय में करोड़ों रुपये की संपति के गबन की रिपोर्ट के बाद वर्ष 2015 में सरकार ने तत्कालीन समिति को निलंबित कर दिया था। वर्ष 2016 में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने दीवान चंद रहेजा को प्रशासक नियुक्त किया था।
अधिकारियों ने बनाई थी गलत रिपोर्ट, दीवान चंद रहेजा का आरोप
रिकॉर्ड के अनुसार पंजाब और हरियाणा के उच्च न्यायालय ने दीवान चंद रहेजा को कभी भी दोषी नहीं पाया है। सिर्फ उद्योग विभाग के अधिकारियों द्वारा उनके खिलाफ रिपोर्ट प्रस्तुत कर दोषी बताया गया था। जिसका दीवान चंद रहेजा ने अदालत के सामने विरोध किया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि यह गलत रिपोर्ट अधिकारियों और जन कल्याण ट्रस्ट की मिलीभगत से बनाई गईं हैं।
विद्यालय के वर्ष 2013 के बाद के खातों की जांच के दिए थे आदेश
उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने 7 अगस्त 2023 को विद्यालय के वर्ष 2013 के बाद के खातों की जांच कंप्ट्रोलर और ऑडिटर जनरल भारत सरकार को करने के आदेश जारी किए थे। प्रशासक दीवान चंद रहेजा को बदलने से मना कर दिया था। उच्च न्यायालय के इस आदेश के खिलाफ अब जन कल्याण ट्रस्ट ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की हैं। जिस पर उच्चतम न्यायालय ने सिर्फ दीवान चंद रहेजा की जगह कोई अन्य इंडिपेंडेंट प्रशासक लगाए या नहीं पर नोटिस जारी किए हैं।