Haryana की इस दरगाह में पत्थर के पानी से होता है हर जहर का इलाज

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ऐतिहासिक शहर पानीपत का इतिहास केवल तीन युद्धों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसमें कई ऐसी कहानियां समाहित हैं, जिनसे लोग आज भी अनजान हैं। ऐसी ही एक कहानी आज हम आपको बताने जा रहे हैं। पानीपत के कलंदर बाजार के बीचो- बीच बनी बू अली शाह कलंदर की दरगाह की यह कहानी है, जिसे देश- विदेश के लोग पूरी आस्था के साथ देखते हैं। पानीपत के कलंदर बाजार के बीच में बनी बू अली शाह कलंदर की दरगाह का है, जिसे देश-विदेश के लोग आस्था भरी नजरों से देखते हैं। बू अली शाह कलंदर की दरगाह पर विश्व भर से लोग आते हैं।

हरियाणा के पानीपत में बू अली कलंदर शाह की दरगाह देश और दुनिया में काफी प्रसिद्ध है। ये दरगाह कई मायनों में खास है। कहा जाता है इसे इंसानों ने नहीं, बल्कि जिन्नों ने बनाया था। इस दरगाह में जहर मोहरा नाम का पत्थर भी है। मान्यता है कि इसके पानी से हर तरह के जहर का इलाज हो जाता है।

पानीपत से ही हुई कलंदर शाह की तालीम

बता दें कि कलंदर शाह का जन्म पानीपत में ही हुआ था, उनका नाम शरफुदीन था। 1190 ई. में कलंदर शाह का जन्म हुआ और 122 साल की उम्र में 1312 ई. में उनका इंतकाल हो गया। हालांकि उनके माता-पिता इराक के रहने वाले थे। बाद में वे भारत आ गए थे, उनकी तालीम पानीपत से ही हुई। कलंदर शाह के पिता शेख फखरुद्दीन अपने समय के महान संत और विद्वान थे, इनकी मां हाफिजा जमाल भी धार्मिक प्रवृत्ति की थी।

संत के कहने के बाद शुरू की खुदा की इबादत

कलंदर शाह के जन्मस्थान को लेकर अलग-अलग मान्यताएं हैं। जिसमें लोगों का मानना है कि उनका जन्म तुर्की में हुआ, जबकि कई लोग अजरबैजान बताते हैं, ज्यादातर लोगों के मुताबिक, पानीपत ही उनकी जन्मस्थली है। कलंदर शाह की प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा पानीपत में हुई। कुछ दिन बाद वे दिल्ली चले गए और कुतुबमीनार के पास रहने लगे, उनके ज्ञान को देखते हुए किसी संत के कहने पर उन्होंने खुदा की इबादत शुरू की। लगातार 36 साल की इबादत के बाद उन्हें अली की बू प्राप्त हुई थी, तभी के उनका नाम शरफुदीन बू अली शाह कलंदर हो गया।

मन्नत के लिए लगते है ताले
कई वर्षो पुरानी दरगाह की विशेष मान्यता है कि यहां बड़ी संख्या में लोग मन्नत मांगने आते हैं और दरगाह के बगल में एक ताला लगा कर जाते हैं। मन्नत पूरी होने पर गरीबों को खाना खिलाते और दान-पुण्य करते हैं। यहां रोज लोग आते हैं, लेकिन वीरवार को यहां लोगों की भीड़ उमड़ती है। सालाना उर्स मुबारक पर यहां खास जलसा होता है, उस मौके पर दुनियाभर से लोग यहां आते हैं।

मौसम बताने वाला पत्थर भी मौजूद
दरगाह पर आज भी जिन्नातों द्वारा लगाए गए नायाब पत्थर मौजूद हैं। बता दें कि यहां मौसम बताने वाले पत्थर और सोने की जांच करने वाले कसौटी पत्थर और जहर मोहरा नाम के पत्थर लगे हैं। जहर मोहरा पत्थर अगर कोई विषैला सांप या कोई भी विषैला जीव इंसान को काट लें, तो यह पत्थर सारा जहर इंसान के जिस्म से निकाल लेता है।