➤हरियाणा ने आयुष्मान योजना में इलाज से मना करने वाले अस्पतालों पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी
➤शिकायत पर जुर्माना, पैनल से बाहर और लाइसेंस निलंबन का खतरा
➤स्टेट हेल्थ एजेंसी ने कहा, इलाज रोकना गलत और गैरकानूनी
हरियाणा सरकार ने आयुष्मान भारत स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत निजी अस्पतालों को इलाज से मना करने वाले मामलों पर सख्ती बरतने का निर्णय लिया है। स्टेट हेल्थ एजेंसी (एसएचए) की मुख्य कार्यकारी अधिकारी संगीता तेतरवाल ने स्पष्ट रूप से कहा है कि यदि किसी भी पैनल से जुड़े निजी अस्पताल के खिलाफ शिकायत आती है कि उन्होंने आयुष्मान योजना के लाभार्थियों का इलाज नहीं किया, तो उसके खिलाफ जुर्माना लगाया जाएगा। इसके अलावा ऐसे अस्पतालों को पैनल से बाहर करने और उनके लाइसेंस निलंबित करने तक की कार्रवाई की जा सकती है।
संगीता तेतरवाल ने यह भी बताया कि यदि किसी अस्पताल के खिलाफ फीस लेने या अन्य नियमों का उल्लंघन करने की शिकायत मिले तो राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) और एसएचए द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
हरियाणा की स्टेट हेल्थ एजेंसी ने स्पष्ट किया है कि निजी अस्पतालों की लगभग सभी मांगें और मुद्दे पहले ही सुलझा दिए गए हैं। इसीलिए अस्पतालों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं को रोकने या निलंबित करने का कोई वैध कारण नहीं बचा है। इस बात की पुष्टि भी हुई है कि कई सूचीबद्ध अस्पताल इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के आह्वान के बावजूद इस योजना के तहत सेवा वापस लेने में शामिल नहीं हैं।
इस कार्रवाई से आयुष्मान भारत योजना के तहत इलाज पाने वाले लाखों लाभार्थियों को राहत मिलेगी, क्योंकि अब अस्पतालों को मजबूर किया जाएगा कि वे इस योजना के तहत मरीजों का इलाज करें और किसी भी प्रकार की मनमानी या फीस वसूली न करें।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण है। इससे न केवल लाभार्थियों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा मिलेगी, बल्कि सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में सुधार भी होगा।
आयुष्मान योजना का मकसद गरीब और कमजोर वर्ग के लोगों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराना है, और हरियाणा सरकार की यह पहल इसे प्रभावी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी।