Haryana के महामहिम राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि डॉक्टर को जनता भगवान का रूप मानती है। ऐसे में डॉक्टर को अपने पेशे को समाज सेवा का माध्यम मानना चाहिए। उन्होंने कहा कि सेवा भाव से किए हुए कार्य से परिवार में अपने आप समृद्धि आती है। उन्होंने कहा कि चिकित्सा के क्षेत्र में रिसर्च के दृष्टिकोण को अपना जरूरी है, जो देश व समाज तरक्की के लिए जरूरी है।
महामहिम राज्यपाल दत्तात्रेय मंगलवार को पंडित भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय चतुर्थ दीक्षांत समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। समारोह में राज्यपाल ने चिकित्सा संस्थान से उत्तीर्ण 5806 विद्यार्थियों को डिग्री प्रदान की। उन्होंने कहा कि कि जिन विद्यार्थियों ने डिग्री प्राप्त की है उनमें 3484 लड़कियां हैं। इसके साथ ही जिन 32 विद्यार्थियों ने स्वर्ण पदक प्राप्त किए हैं, उनमें 23 लड़कियां हैं। उन्होंने चिकित्सा की डिग्री हासिल करने वाले और स्वर्ण पदक प्राप्त करने वालों को अपनी तरफ से शुभकामनाएं दी।
डिग्री हासिल करने का दिन यादगार होता है
उन्होंने कहा कि डिग्री हासिल करने का दिन छात्र जीवन में बहुत महत्वपूर्ण और यादगार दिन होता है यह कड़ी मेहनत का परिणाम है और इसके पीछे परिजनों का बहुत बड़ा योगदान है। उन्होंने कहा कि डिग्री हासिल करने से पहले केवल पढ़ाई का कार्य होता है लेकिन जिस दिन डिग्री हाथ में आ जाती है, उसी दिन से नया रास्ता तलाशना पड़ता है। उन्होंने कहा कि चिकित्सा एक सामान्य पेश ना होकर बहुत बड़ा पेशा है और समाज सेवा का सबसे बड़ा माध्यम है।
राज्यपाल ने कहा कि स्वस्थ रहने के लिए स्वस्थ शरीर के साथ शांत चित्त और आत्मिक शांति जरूरी है। आत्मिक शांति तभी आती है जब स्वास्थ्य सही रहता है। उन्होंने कहा कि भारतीय प्राचीन चिकित्सा जगत में आयुर्वेद का बहुत बड़ा योगदान है। नियमित रूप से योग, प्राणायाम और व्यायाम करके हम ना केवल निरोगी रह सकते हैं बल्कि हमारा मन भी शांत रहता है, जो आज के समय में सबसे जरूरी है। उन्होंने डिग्री हासिल करने वाले विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि वे केवल डिग्री हासिल करने तक अपने आप को संतुष्ट न माने, उनको निरंतर आगे बढ़ना है और नई रिसर्च का दृष्टिकोण अपनाना है।
नई रिसर्च से देश आगे बढ़ेगा
नई रिसर्च के दृष्टिकोण से ही देश आगे बढ़ेगा और उसी से समाज में समृद्धि आएगी। उन्होंने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2047 तक भारत को पूर्ण रूप से विकसित बनाने के लक्ष्य में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें।
राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि वे ज्यादा से ज्यादा ज्ञान प्राप्त करें और ज्यादा से ज्यादा जनता की सेवा करें। आज हमें दो बड़े मुद्दों पर विचार-विमर्श करने की आवश्यकता है। सबसे पहले, हमें अपनी प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को बढ़ाना होगा और अपनी माध्यमिक स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को बढ़ाना होगा। दूसरे, हमें ऐसी तकनीक पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जो देश की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में सुधार करेगी।
भारत ने चिकित्सा शिक्षा में उल्लेखनीय विकास देखा है
पिछले दशक में, हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व में भारत ने चिकित्सा शिक्षा में उल्लेखनीय विकास देखा है। देश में स्नातक और स्नातकोत्तर सीटों की संख्या दोगुनी से अधिक हो गई है और हमारा देश वर्तमान में हर साल एक लाख से अधिक स्नातक छात्रों और लगभग 70 हजार स्नातकोत्तर चिकित्सा छात्रों को प्रशिक्षित कर रहा है।
राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि मेडिकल स्नातकों और स्नातकोत्तरों को प्रशिक्षित करने में इस विश्वविद्यालय की भूमिका और समाज के प्रति उनके योगदान को उजागर करना उचित है। उन्होंने कहा कि डिजिटल इंडिया के इस युग में, स्वास्थ्य सेवा में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एआई, जैसी नवीन तकनीकों का एकीकरण अब एक दूर की संभावना नहीं बल्कि वर्तमान वास्तविकता है। एआई में रोगी देखभाल, निदान और उपचार योजनाओं में क्रांति लाने की क्षमता है।
काफी नागरिक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच से वंचित हैं
यह विशाल मात्रा में डेटा का विश्लेषण करने, परिणामों की भविष्यवाणी करने और व्यक्तिगत देखभाल प्रदान करने की हमारी क्षमता को बढ़ा सकता है। उन्होंने युवा चिकित्सकों से आग्रह करते हुए कहा कि वें सभी से ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में जरूरतमंद आबादी की सेवा करने के अपार मूल्य पर विचार करने का आग्रह करते हैं। इन क्षेत्रों में हमारे काफी नागरिक अभी भी आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच से वंचित हैं। स्वेच्छा से अपना समय और विशेषज्ञता इन वंचित समुदायों को समर्पित करने से उनके जीवन में महत्वपूर्ण बदलाव आ सकता है।