● हरियाणा हाईकोर्ट का बड़ा फैसला – एमफिल धारक नेट उत्तीर्ण किए बिना नौकरी में नहीं रह सकेंगे
● राजकीय कॉलेजों में केवल नेट पास एक्सटेंशन लेक्चरर्स ही सेवा में बने रहेंगे
● याचिकाकर्ता गौरव सोरौत की याचिका खारिज, कोर्ट ने सेवा नियमों को बताया निर्णायक
Haryana High Court Ruling: हरियाणा हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में यह स्पष्ट कर दिया है कि एमफिल डिग्री धारक, जिन्होंने यूजीसी नेट परीक्षा पास नहीं की है, वे एक्सटेंशन लेक्चरर के रूप में सेवा जारी नहीं रख सकते। हाईकोर्ट ने ऐसे शिक्षकों को सेवा मुक्त करने को अनिवार्य बताते हुए हरियाणा सरकार की नीति को सही ठहराया।
याचिका दायर करने वाले एक्सटेंशन लेक्चरर को कोर्ट से नहीं मिली राहत
गौरव सोरौत नामक एक्सटेंशन लेक्चरर ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। वे पलवल जिले के होडल स्थित राजकीय कॉलेज में अंग्रेजी विषय के एक्सटेंशन लेक्चरर थे, लेकिन सरकारी नीति के तहत उन्हें सेवा से हटाने के निर्देश दिए गए थे।
एमफिल डिग्री और यूजीसी नेट विवाद
याचिकाकर्ता गौरव ने 2009 में विनायक मिशन रिसर्च फाउंडेशन डीम्ड यूनिवर्सिटी से एमफिल (अंग्रेजी) की डिग्री ली थी और 2013 में एक्सटेंशन लेक्चरर बने थे।
हालांकि, 2017 में उन्हें सेवा से हटा दिया गया, जिसके खिलाफ उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
गौरव ने यूजीसी की 27 सितंबर 2010 की बैठक का हवाला देते हुए खुद को पात्र बताया, जिसमें कहा गया था कि 11 जुलाई 2009 से पहले एमफिल करने वालों को यूजीसी नेट से छूट दी जाएगी। लेकिन हाईकोर्ट ने पाया कि यह निर्णय न तो कभी अधिसूचित किया गया था और न ही हरियाणा सरकार ने इसे अपनाया था।
कोर्ट का फैसला – नेट पास होना अनिवार्य
हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि हरियाणा के सरकारी कॉलेजों में सहायक प्रोफेसर के पद के लिए यूजीसी नेट उत्तीर्ण करना न्यूनतम पात्रता शर्त है।
कोर्ट ने राज्य सरकार की नीति का समर्थन करते हुए गौरव की याचिका को खारिज कर दिया और एमफिल धारकों को बिना नेट परीक्षा पास किए सेवा में बनाए रखने से इनकार कर दिया।