चंडीगढ़ एडवाइजर की दौड़ में अरुणाचल प्रदेश के दो अधिकारियों के नाम सबसे आगे चल रहें हैं। जिसमें 1989 बैच के आईएएस चीफ सेक्रेटरी धर्मेंद्र और शरद चौहान का नाम सबसे आगे है। इसके अलावा गोवा के चीफ सेक्रेटरी 1991 बैच के आईएएस पुनीत गोयल और जम्मू कश्मीर में तैनात 1993 बैच के आईएएस प्रशांत गोयल का नाम शामिल है।
सूत्रों की मानी जाए तो गृह मंत्रालय ने अरुणाचल के आईएएस शरद चौहान का नाम फाइनल कर फाइल पीएमओ को अप्रूवल के लिए भेज दी है। डॉ. धर्मपाल के रिटायर्ड होने के बाद चंडीगढ़ के सबसे सीनियर आईएएस अधिकारी होम सेक्रेटरी नितिन यादव को चार्ज दिया गया है। इससे पहले 2003 में हरियाणा कैडर के आईएएस अधिकारी आरएस गुजराल को भी कार्यकारी एडवाइजर नियुक्त किया गया था। वह भी उस समय चंडीगढ़ के होम सेक्रेटरी थे।
हिमाचल की राजनीति में चंडीगढ़ की काफी भूमिका
2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर प्रशासक के एडवाइजर का पद काफी अहम माना जा रहा है, क्योंकि चंडीगढ़, हरियाणा और पंजाब की राजधानी के साथ-साथ हिमाचल की राजनीति में भी चंडीगढ़ काफी भूमिका निभाता है। चंडीगढ़ यूनियन टेरिटरी होने के कारण प्रशासक के कंट्रोल में रहता है, लेकिन सारे फैसले एडवाइजर के द्वारा ही लिए जाते हैं, इसलिए इस पद के लिए बीजेपी के सीनियर नेताओं की तरफ से अपनी पसंद का आईएएस अधिकारी लगाने की जोर आजमाइश चल रही है।
स्टार्टअप पॉलिसी भी चर्चा का विषय
चंडीगढ़ प्रशासक के एडवाइजर धर्मपाल ने कोरोना महामारी के दौरान 23 जून 2021 को चंडीगढ़ प्रशासन में कारोबार संभाला था। इनके कई फसलों के कारण वह चंडीगढ़ में हमेशा चर्चा में रहे हैं। इनके कार्यकाल में नई सचिवालय का निर्माण, मेट्रो प्रोजेक्ट, स्पोर्ट्स पॉलिसी, इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी जैसे मुद्दों पर सहमति बन पाई है। इसके साथ ही हाल ही के दिनों में चंडीगढ़ के द्वारा नए उद्योगों के लिए स्टार्टअप पॉलिसी भी चर्चा का विषय रही है।