➤हरियाणा के 16 जिलों ने कृषि जनगणना 2021–22 की द्वितीय चरण रिपोर्ट सरकार को नहीं सौंपी।
➤सरकार ने 38 राजस्व अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी कर अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की।
➤नई डिजिटल भूमि प्रबंधन प्रणाली अगस्त 2025 से लागू होगी, सीमांकन अब अत्याधुनिक तकनीक से होगा।
चंडीगढ़ — हरियाणा सरकार ने कृषि जनगणना 2021-22 के दूसरे चरण की रिपोर्ट समय पर प्रस्तुत न करने पर 16 जिलों के अधिकारियों के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है। राज्य के राजस्व विभाग ने इस लापरवाही के चलते 38 अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस (Show Cause Notice) जारी कर दिया है। इन अधिकारियों में 6 जिला राजस्व अधिकारी (DRO), 23 तहसीलदार, और 9 नायब तहसीलदार शामिल हैं। सरकार ने संकेत दिया है कि इन सभी पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
समय पर रिपोर्ट नहीं देने पर सख्ती
हरियाणा की वित्तायुक्त राजस्व (FCR) डॉ. सुमिता मिश्रा ने इस देरी को प्रशासनिक असफलता मानते हुए स्पष्ट शब्दों में कहा कि ऐसी लापरवाही राज्य स्तर की योजनाओं और नीति-निर्धारण को प्रभावित करती है। उन्होंने सभी जिला उपायुक्तों (DCs) को निर्देश दिए कि वे रिपोर्ट शीघ्र भेजने के साथ-साथ जवाबदेही सुनिश्चित करें।
डिजिटल सुधार की ओर कदम
डॉ. मिश्रा ने बताया कि अगस्त 2025 से राज्य में राजस्व न्यायालय प्रबंधन प्रणाली का नया डिजिटल पोर्टल शुरू किया जाएगा। यह प्रणाली न केवल भूमि विवादों और लंबित मामलों का समाधान तेज करेगी, बल्कि सीमांकन, दाखिल-खारिज, नक्शों का डिजिटलीकरण और नागरिक सेवाओं को सरल बनाएगी।
इस पोर्टल के जरिए आम जनता को अपनी भूमि संबंधी शिकायतों, दस्तावेजों और सीमांकन प्रक्रिया की जानकारी ऑनलाइन ही उपलब्ध होगी। इसके अलावा उन्नत जीपीएस रोवर्स (rovers) की सहायता से सीमांकन प्रक्रिया को सटीक और पारदर्शी बनाया जाएगा।
क्या है कृषि जनगणना और इसका महत्व?
कृषि जनगणना भारत सरकार द्वारा हर पांच साल में आयोजित की जाती है, जिसका उद्देश्य कृषि संबंधी संरचनात्मक डेटा एकत्र करना है। 2021-22 की कृषि जनगणना में किसानों की ऑपरेशनल होल्डिंग्स, भूमि उपयोग, सिंचाई व्यवस्था, फसल पैटर्न, और जोखिम कारक जैसे अहम आंकड़ों को एकत्र किया जाना था।
इस जनगणना के जरिए प्राप्त आंकड़े केंद्र और राज्य सरकारों को नीतियां बनाने, कृषि अनुदान योजनाओं और समाजिक-आर्थिक विकास कार्यक्रमों को प्रभावी बनाने में मदद करते हैं। रिपोर्ट की देरी का सीधा असर किसानों की भलाई और कृषि नीति निर्माण पर पड़ता है।
कड़े संदेश के साथ प्रशासन को चेतावनी
वित्तायुक्त ने स्पष्ट किया कि यह लापरवाही केवल प्रशासनिक नहीं, बल्कि नीति निर्माण में बाधा डालने के बराबर है। इसलिए सभी संबंधित अधिकारियों को कार्रवाई के लिए नामित किया गया है, और भविष्य में ऐसी लापरवाही सहन नहीं की जाएगी।