सुप्रीम कोर्ट ने चंडीगढ़ में मेयर चुनाव के मामले पर मंगलवार को फिर सुनवाई करने का आदेश दिया है। सोमवार को कोर्ट ने चंडीगढ़ मेयर चुनाव के सभी बैलेट पेपर और वीडियो को दिल्ली भेजने का आदेश दिया था।
इसके अलावा मेयर चुनाव को दोबारा नए सिरे से करवाने की बजाय वर्तमान मतपत्रों के आधार पर घोषित करने का आदेश भी दिया गया है। रिटर्निंग ऑफिसर अनिल मसीह को कोर्ट के समक्ष उपस्थित रहने का निर्देश दिया गया था, उन्हें बैलट पेपर्स और वीडियो लाने के लिए मंगलवार को कोर्ट में उपस्थित होने का आदेश भी दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मतदान में डाले गए वोटों की गिनती करने से पहले उन निशानों की गिनती करनी चाहिए, जो पिछले पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह ने पेन से लगाए थे।

सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट रजिस्ट्रार जनरल से कहा है कि मंगलवार को कोर्ट में बैलट पेपर्स और वीडियो लाने के लिए एक ज्यूडिशियल अफसर की नियुक्ति की जाए। कोर्ट ने प्रशासन को निर्देश दिए है कि ज्यूडिशियल अफसर और रिकॉर्ड्स की सुरक्षा के लिए व्यवस्था की जाए। अदालत मंगलवार को 2 बजे चुनाव का पूरा वीडियो और बैलट पेपर्स की जांच करेगी।

मुख्य न्यायाधीश और अनिल मसीह के बीच सवाल-जवाब
मुख्य न्यायाधीश : एससी ने मसीह से पूछा कि आपने किस कानून के तहत बैलेट पेपर पर हस्ताक्षर किए हैं।
मसीह : जो मतपत्र खराब हो गए थे, उन्हें अलग करना था और उनकी पहचान के लिए ही मैं ऐसा कर रहा था। वहां इतने सारे कैमरे थे कि मैं बस उन्हें ही देख रहा था।
मुख्य न्यायाधीश : वीडियो में दिख रहा है कि आपने क्रॉस का निशान लगाया था? ऐसा क्यों किया और कितने बैलेट पेपर पर किया।
मसीह : ऐसा मैंने इसलिए किया, ताकि विकृत पेपर की बाद में पहचान की जा सके और मैंने ऐसा 8 बैलट पेपर पर किया था। उम्मीदवारों ने मतपत्रों को छीन लिया था, उन्हें मोड़ दिया था और उन्हें खराब कर दिया था, इसलिए उनकी पहचान के लिए ही क्रॉस का निशान लगाया।

मुख्य न्यायाधीश : आप चुनाव प्रक्रिया में हस्तक्षेप कर रहे थे। बैलेट पेपर को खराब करने का काम आप क्यों कर रहे थे? आपको केवल कागजात पर हस्ताक्षर करने थे। नियमों में यह कहां प्रावधान है कि आप मतपत्रों में अन्य चिह्न लगा सकते हैं। सॉलिसिटर साहब, इन पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए। हम जिला उपायुक्त को निर्देश जारी करेंगे कि वह एक नया रिटर्निंग ऑफिसर नियुक्त करे और बैलेट पेपर पर लगाए गए निशानों को नजरअंदाज कर दोबारा से उनकी गिनती कर नतीजे घोषित किए जाएं। ये पूरी प्रक्रिया हाईकोर्ट की निगरानी में होनी चाहिए।


