किसान संगठनों का दिल्ली की और कूच को लेकर हरियाणा प्रसाशन ने पंजाब के बॉर्डरों को सील कर दिया है। पुलिस द्वारा किसानों के लिए पैदा किए जा रहे अवरोध के बाद पंचकूला निवासी उदय प्रताप सिंह ने जनहित में याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि अंबाला कुरुक्षेत्र समेत कई जिलों में मोबाइल इंटरनेट सेवाओं को बंद कर दिया गया है। इसी को लेकर आज पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में सुनवाई होगी। हरियाणा सरकार ने पंजाब से लगते बॉर्डर सील कर दिए हैं। इसके अलावा 15 जिलों में धारा 144 लगाई गई है। 7 जिलों में इंटरनेट बंद कर दिया गया है।
हरियाणा सरकार ने किसानों के दिल्ली कूच को लेकर 11 फरवरी से प्रदेश के 7 जिलों में इंटरनेट सेवाओं को बंद कर दिया। यह सभी जिले पंजाब की सीमा से सटे हुए हैं। होम सेक्रेटरी टीवीएसएन प्रसाद ने इसको लेकर ऑर्डर शनिवार को जारी किए थे। जहां इंटरनेट बंद है उनमें अंबाला, कुरुक्षेत्र, कैथल, जींद, हिसार, फतेहाबाद और सिरसा जिला शामिल हैं। इन जिलों में 11 फरवरी को सुबह 6 बजे से 13 फरवरी की रात 11.59 बजे तक इंटरनेट सेवाएं बंद की गई हैं। आदेशों के अनुसार, वॉट्सऐप, फेसबुक, एक्स आदि के माध्यम से मैसेज नहीं भेजे जा सकेंगे। लोगों की सुविधा को देखते हुए इस अवधि के दौरान पर्सनल मैसेज भेजने, फोन रिचार्ज करने, बैंकिंग एसएमएस, वॉइस कॉल, ब्रॉडबैंड के माध्यम से इंटरनेट सर्विस, कॉर्पोरेट और घरेलू लाइन सुचारु रूप से जारी रखी गई हैं।
याचिका में कहा- आम जनमानस को हो रही परेशानी
सड़क की नाकाबंदी से न केवल लोगों को असुविधा होती है, बल्कि एम्बुलेंस, स्कूल बसों, पैदल यात्रियों और अन्य वाहनों की आवाजाही भी बाधित होती है। इस रुकावट के परिणामस्वरूप वैकल्पिक मार्गों पर यातायात बढ़ गया है, जिससे यात्रियों के लिए देरी और कठिनाइयां पैदा हो रही हैं, जिनमें वकील, डॉक्टर और आपातकालीन सेवाएं जैसे पेशेवर शामिल हैं, जो अपने कार्यस्थलों तक पहुंचने और मरीजों की तुरंत देखभाल करने में असमर्थ हैं।
कहीं पर धारा 144 लागू तो कहीं सड़कें सील
याचिकाकर्ता ने एक मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित एक फैसले का हवाला दिया है, जिसमें शीर्ष अदालत ने माना है कि विरोध प्रदर्शन के लिए सार्वजनिक मार्गों पर कब्जा स्वीकार्य नहीं है और प्रशासन को सार्वजनिक मार्ग को अतिक्रमण या अवरोधों से मुक्त रखना चाहिए। याचिका के अनुसार इसके अतिरिक्त कई जिलों जिलों में सीआरपीसी की धारा 144 लागू करने के साथ-साथ विभिन्न सड़कों पर सीमेंट बैरिकेड्स, स्पाइक स्ट्रिप्स और अन्य बाधाएं लगाना राज्य के अधिकारियों द्वारा किसी के विरोध करने के अधिकार को दबाने के प्रयास को दर्शाता है। जो लोकतांत्रिक अभिव्यक्ति के खिलाफ है।
याचिका में ये दिया गया तर्क
जनहित याचिका में तर्क दिया गया है कि पुलिस द्वारा बलों के अनुचित उपयोग और डराने-धमकाने की रणनीति के साथ इस तरह की कार्रवाई न केवल मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करती है बल्कि लोकतंत्र और कानून के शासन के सिद्धांतों को भी कमजोर करती है।