हरियाणा में संगठन बनाने को लेकर कांग्रेस पार्टी पिछले लंबे समय से प्रयास कर रही है, लेकिन गुटबाजी हावी होने के चलते कांग्रेस को हर बार मुंह की खानी पड़ती है। वही काम अब हो रहा है, हाल ही में आपने देखा हरियाणा कांग्रेस प्रभारी दीपक बावरिया द्वारा ऑब्जर्वर की जिले वाइज लिस्ट जारी की गई, वह जैसे ही हर जिले में ऑब्जर्वर कार्यकर्ताओं की बात सुनने के लिए पहुंचे, वहां पर विरोध के सुर फिर देखने को मिले। जिसके चलते 8 से 12 सितंबर को चंडीगढ़ में कोर्डिनेट की बैठक को बुलाने की बजाय दिल्ली में बुलाया गया और चंडीगढ़ में बैठक को कैंसल कर दिया गया।
वहीं कांग्रेस प्रभारी दीपक बावरिया का रविवार को नया फरमान भी सुनने को मिल रहा है। जिसमें उन्होंने कहा है कि हुडदंग मचाने वाले कार्यकर्ताओं पर संगठनात्मक कार्रवाई की जाएगी। नई बात का जिक्र करें तो कांग्रेस में सबकुछ अब ठीक नहीं चल रहा। जिसके चलते भूपेंद्र सिंह हुड्डा और एसआरके गुट आमने-सामने हो जाने से कार्यकर्ताओं का मनोबल टूटता जा रहा है। उनके साथ कांग्रेस अध्यक्ष उदयभान को भी आना था, उन्होंने भी अपना दौरा रद्द कर दिया है।
खबर संबंधित वीडियों देखने के लिए क्लीक करें
सुरजेवाला पहले ही लगा चुके हाजिरी
राजनीति जानकारी बता दें कि यदि कांग्रेस प्रदेश में ठीक प्रकार से चलती है, तो उसके सत्ता में आने की संभावना नजर आ रही है, जैसा कि जनता स्वयं जता रही है, लेकिन जिस तरीके के हालात हरियाणा में कांग्रेस के हैं, इससे काफी बड़ा नुकसान कांग्रेस को हो सकता है। क्योंकि रणदीप सुरजेवाला गत ऑब्जर्वर को लेकर पहले ही केंद्र में अपनी हाजिरी लगा चुके है, वहीं हंगामे पर दीपक बावरिया का चंडीगढ़ का तीन दिवसीय दौरे को रद्द कर दिया।
तय लोगों से ही मुलाकात क्यों
बताया जा रहा है कि दीपक बावरिया द्वारा जिलेवार ऑब्जर्वर मीटिंग में जिले से तीन जिला अध्यक्ष के नाम दिए जाने थे, जो ऑब्जर्वर वि-कोऑर्डिनेटर से बैठक की जानी थी। परंतु अन्य जगहों पर विरोध के चलते उन्हें चंडीगढ़ में दौरा रद्द करना पडा। जिस पर तमाम हरियाणा के वरिष्ठ नेताओं को दिल्ली बुलाकर मामले पर समीक्षा करना जारी है। जिस पर कार्यकर्ताओं का मानना है कि तय लोगों से ही मुलाकात क्यों की जा रही है। कार्यकर्ताओं द्वारा दीपक बावरिया की कार्यशैली पर भी आरोप लगाया जा रहा है।
एक ग्रुप को तवज्जों देने के भी लगाए आरोप
गौरतलब है कि कांग्रेस के एक ग्रुप में इसको लेकर पहले आपत्ति जताई थी। साथ ही ग्रुप में इस बात पर भी सवाल उठाया था कि चुने हुए लोगों से ही कोऑर्डिनेटर की मुलाकात क्यों कराई जा रही है। इस बारे में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला कुमारी शैलजा ने पहले ही अध्यक्ष मलिक अर्जुन खड़गे से मुलाकात भी की। वही बाद में कुमारी शैलजा और किरण चौधरी ने राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल से मुलाकात की थी। सूत्रों का दावा है कि आला कमान के सामने हरियाणा प्रभारी दीपक बावरिया की कार्यशैली पर भी सवाल उठाया गया, उस पर पक्षपात व एक ग्रुप को तवज्जो देने के भी आरोप लगाए गए हैं।
9 साल में फैसला नहीं, अब बनी सहमति
बताया जा रहा है कि उदयभान कांग्रेस अध्यक्ष ने सभी कोऑर्डिनेटर तय समय पर अपनी रिपोर्ट सामने रखने की बात कही है। जिला अध्यक्ष के लिए तीन नाम ऑब्जर्वर और कोऑर्डिनेटर सौंपेंगे, रिपोर्ट सौंपने के बाद उस पर चर्चा होगी। जिसको लेकर जिला अध्यक्षों की घोषणा से पहले सभी वरिष्ठ नेताओं से बातचीत भी होगी। हालांकि कांग्रेस अध्यक्ष उदयभान की जिला अध्यक्षों के फाइनल नाम की सूची कब तक आएगी, जिला अध्यक्षों के नाम की घोषणा कांग्रेस में किसी चुनौती से कम नहीं है, इस बात की जानकारी नहीं दे पाए। जिन पदों पर 9 साल में कोई फैसला नहीं हो, उसका उन नाम पर सहमति बन पाना, इतना आसान कांग्रेस के लिए नहीं होगा।
समर्थकों को हाईकमान के फैसले का इंतजार
ऐसे में जिला अध्यक्षों की घोषणा करना कांग्रेस के लिए कोई चुनौती से कम नहीं, सूत्रों की मानी जाए तो जानकारी मिली है कि कांग्रेस में सब कुछ ठीक नहीं हो रहा। आखिर आला कमान इस पर कोई फैसला ले सकता है। वहीं हरियाणा प्रभारी दीपक बावरिया पर जल्द से जल्द संगठन निर्माण का दबाव है, उन्हें अगले दो महीने में हरियाणा में मजबूत संगठन तैयार करना है, लेकिन जिस तरह की तस्वीर सामने आ रही हैं। ऐसा लग नहीं रहा कि हरियाणा कांग्रेस में सब कुछ ठीक चल रहा है। एक तरफ कांग्रेस का संगठन ठीक तरीके से नहीं बन पा रहा, वहीं हाईकमान अब तक मामले पर संज्ञान क्यों नहीं ले पा रहा। आखिर आरोप-प्रत्यारोप का दौर कब तक चलता रहेगा, यह सवाल अभी भी बने हुए हैं। जिसको लेकर कांग्रेस समर्थक इंतजार कर रहे हैं कि पर हाईकमान क्या फैसला लेता है।