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Haryana में पराली को जलाया नहीं बल्कि व्यापार किया जाता है, 4 हजार से 6 हजार रुपये एकड़ के हिसाब से बिक रही पराली

रोहतक हरियाणा

रोहतक में इन दिनों दिल्ली और एनसीआर की आबो हवा खराब होती जा रही है। इस बढ़ते प्रदूषण को दिल्ली सरकार और दिल्ली के लोग हरियाणा व पंजाब के किसानों को दोषी मानते हैं क्योंकि हरियाणा व पंजाब में धान की फसल काटने के बाद पराली को खेत खाली करने के लिए जलाना पड़ता था। लेकिन अब हरियाणा सरकार के प्रयासों से पराली जलाई नही जाती बल्कि पराली का व्यापार व प्रयोग किया जाता है। किसान पराली को बेचकर 4 हजार से लेकर 6 हजार रुपये एकड़ के हिसाब से कमाई करता हैं।

रोहतक में डोभ गांव के रहने वाले किसान कुलदीप का कहना है कि अब पराली को जलाया नही बल्की पराली को इकट्ठा करके उसका व्यापार व पशुओं के लिए चारा बनाया जाता है। किसान ने बताया कि हरियाणा सरकार ने किसानों की पराली की खरीद व अवशेष के लिए यंत्र दिए हैं तब से किसान पराली को जलाता नही बल्कि उसका व्यपार करने लगा है। किसान अब जागरूक हो गया है उसे पता है कि खेत मे पराली जलाने से उपजाऊ जमीन खराब होती है और जमीन के मित्र किट नष्ट हो जाते हैं जिसमे जमीन को नुकसान होता है । जिसके कारण जिले में पराली जलाने की घटनाओं में कमी आई है।

अब पशुओं के लिए बनाया जाता है चारा

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किसान संदीप ने बताया कि पहले किसान इस लिए पराली जलाता था कि उसे अपनी अगली फसल के लिए खेत खाली करने पड़ती थी और दूसरी फसल की बिजाई करनी पड़ती थी तब पराली बिकती भी नही थी अब पशुओं के लिए चारा भी बनाया जाता है।

4 से 6 हजार रुपये के भाव बिक रही पराली

जिले के मडोधी गांव के रहने वाले पवन ने बताया कि वह किसानी के साथ साथ पराली का व्यपार भी करता है। इस साल पराली 4 हजार रुपये से लेकर 6 हजार रुपये का भाव बिक रही है। अब हरियाणा का किसान पराली जलाता नही वह उसे प्रयोग करने लगा है। उन्होंने बताया कि वह हर साल हजारों एकड़ की पराली खरीदता है। कुछ पराली का चारा बनाकर गौशालाओं में दे देता है और कुछ को बेचता है। वहीं पराली को गतता बनाने वाली फैक्ट्री भी खरीद रही है और अब तो आलम यह है कि पराली की डिमांड दिनों दिन बढ़ती जा रही है ।

धड़ले से बिक रही पराली

खेत में मजदूरी करने पहुंची महिला फूलपति ने बताया कि किसान इतना जागरुक हो गया है कि वह पराली को जलता नहीं है बल्कि पशुओं के चारे के लिए प्रयोग करता है और पहले मजदूर किसान के खेत से पराली को वैसे ही उठा लेता था लेकिन अब तो आलम यह है कि मजदूरों को भी परली किसान के खेत से उठाने नही दिया जाता क्योंकि पराली धड़ले से बिक रही है ।