सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि यदि किसी अनुसूचित जाति (SC) या अनुसूचित जनजाति (ST) के व्यक्ति को उसकी जाति का नाम लिए बिना अपमानित किया जाता है, तो यह SC/ST (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 के तहत अपराध नहीं माना जाएगा।
जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने यह फैसला देते हुए एक ऑनलाइन मलयालम न्यूज चैनल के एडिटर शाजन स्कारिया को अग्रिम जमानत दी है। स्कारिया पर SC/ST एक्ट की धारा 3(1)(R) और 3(1)(U) के तहत मामला दर्ज किया गया था।
विधायक पीवी श्रीनिजन पर टिप्पणी का मामला
स्कारिया पर आरोप था कि उन्होंने SC समुदाय से आने वाले कुन्नाथुनाड के CPM विधायक पीवी श्रीनिजन को “माफिया डॉन” कहा था। इस मामले में ट्रायल कोर्ट और केरल हाईकोर्ट ने उन्हें गिरफ्तारी से पहले जमानत देने से इनकार कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- वीडियो में जातीय अपमान नहीं
स्कारिया की ओर से एडवोकेट सिद्धार्थ लूथरा और गौरव अग्रवाल ने कोर्ट में दलीलें पेश कीं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वीडियो में ऐसा कुछ नहीं मिला जिससे साबित हो कि स्कारिया ने SC/ST समुदाय के खिलाफ दुश्मनी या नफरत को बढ़ावा देने की कोशिश की हो। कोर्ट ने यह भी कहा कि वीडियो का SC या ST के सदस्यों से कोई लेना-देना नहीं था, और स्कारिया का निशाना केवल शिकायतकर्ता श्रीनिजन ही थे।