न्यूनतम वेतन की मांग को लेकर आशा वर्करों का विरोध प्रदर्शन, आज करेंगी विधानसभा का घेराव

जींद

जींद जिले में आशा वर्करों का अपनी मांगों को लेकर 19वें दिन भी सरकार के खिलाफ लगातार लघु सचिवालय के बाहर प्रदर्शन जारी है। विरोध प्रर्दशन में मुख्य रुप से राज्य प्रधान सुरेखा ने शिरकत की। आशा वर्करों ने कहा कि आज सभी आशा वर्कर मांगें पूरी न होने को लेकर विधानसभा का घेराव करेंगी। धरने की अध्यक्षता कंडेला प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सुमन देवी और संचालन सुनीता ने किया।

आशा वर्कर पिछले 19 दिनों से अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर है, लेकिन सरकार की तरफ से अभी तक बातचीत की कोई पहल नहीं की गई है। ऐसे में आज आशा वर्कर विधानसभा का घेराव करेंगी।

प्रदेश सरकार लगातार कर रही आशा वर्करों का शोषण

Whatsapp Channel Join

राज्य प्रधान सुरेखा ने बताया कि प्रदेश की सरकार लगातार आशा वर्करों का शोषण कर रही है। भाजपा सरकार बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा दे रही है, लेकिन आशा वर्कर सड़कें पर उतरने के लिए मजबूर हो गई है। आशा वर्करों को सिर्फ 4000 रुपए मासिक मानदेय दिया जाता है। ऑनलाइन काम का कोई पैसा सरकार आशा वर्करों को नहीं दे रही है।

मजदूर की दिहाड़ी आशा वर्करों से ज्यादा

राज्य प्रधान सुरेखा ने कहा कि मजदूर की दिहाड़ी भी 500 रुपए से ज्यादा है और आशा वर्करों के मानदेय में बढ़ोतरी होनी चाहिए। लेकिन इसके बावजूद भी बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा देने वाली भाजपा सरकार में बेटियों को सड़कें पर आने को मजबूर होना पड़ रहा है। आशा वर्करों के आंदोलन के दौरान वर्ष 2018 में समझौता किया था जिसका आज तक नोटिफिकेशन जारी नहीं किया।

आशा वर्करों के लिए स्वास्थ्य केंद्रों व जिला अस्पतालों में कोई सुविधा नहीं

दूसरी ओर आशा वर्करों पर काम का दबाव कई गुना बढ़ गया है और हर रोज सरकार द्वारा नए-नए काम ऑनलाइन करने के लिए थोपे जा रहे हैं।  जिसके बदले में सरकार आशाओं को किसी भी प्रकार का कोई मेहनताना नहीं देती है।  उल्टा विभाग के उच्च अधिकारियों एवं सरकार द्वारा आशाओं को तरह-तरह की धमकियां दी जा रही हैं।

किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य केंद्रों व जिला अस्पतालों पर कोई सुविधा आशाओं को मुहैया नहीं करवाई गई। आशाओं के लिए बैठने की जगह तो दूर, उन्हें स्वास्थ्य केंद्रों में विभाग का काम करने व मीटिंग आदि के लिए जगह तक मुहैया नहीं करवाई गई है। आशाओं को न्यूनतम वेतन नहीं दिया जा रहा है। जिस कारण आशा वर्करों में सरकार के प्रति भारी रोष है।

26000 वेतन करने की मांग

आशा वर्करों ने मांग की उन्हें कर्मचारी का दर्जा मिले, सरकार की तरफ से जरूरत का सभी तरह का सामान उपलब्ध करवाया जाए। न्यूनतम वेतन 26000 लागू हो। ऑनलाइन काम का मेहनताना दिया जाए। आशाओं का सभी तरह का शोषण बंद हो। इस मौके पर अन्नू, कविता, बबीता, सुमन, मंजू, किताबो, नीता, शीला, सुनीता, शकुंतला, सीमा, अंजू, निर्मला, सरोज, रीटा, कमलेश, पूनम, राजबाला, इंदुबाला, सविता, गुड्डी, उषा, आशा व सुमन मौजूद रही।