हरियाणा के करनाल की बेटी कीर्ति शर्मा आर्मी के मेडिकल क्षेत्र में लेफ्टिनेंट बनी है। कीर्ति ने बीएससी बायो से अपनी पढ़ाई पूरी की और चार साल पहले आर्मी में भर्ती होने के लिए परीक्षा दी। जिसमें उनका 31वां रैंक रहा और उसका सिलेक्शन हो गया। चार साल तक रिसर्च एंड रेफरल यानी आरआर आर्मी अस्पताल में अपना कोर्स पूरा किया। जिसका अब रिजल्ट डिक्लेयर हुआ और कीर्ति लेफ्टिनेंट बन गई। कीर्ति के लेफ्टिनेंट बनने से परिवार में खुशी का माहौल है। सगे-संबंधी परिवार को बधाईयां दे रहे हैं। कीर्ति की पोस्टिंग हो चुकी और वह अब अपनी सेवाएं दे रही हैं।
कीर्ति के माता-पिता ने पत्रकारों से बातचीत में बताया कि कीर्ति एक मेधावी छात्रा रही। उनकी पढ़ाई केंद्रीय स्कूल करनाल में हुई है। 10वीं और 12वी में भी कीर्ति के मार्क्स 80 से 90 प्रतिशत रहे हैं। इसके बाद 2019 में बीएससी बायो से की। इसी दौरान कीर्ति ने रिसर्च एंड रेफरल के लिए एग्जाम दिया और वह क्वालीफाई हो गईं।
दादा और पापा से ली प्रेरणा
कीर्ति के पिता तरुण शर्मा करनाल सीआईडी डिपार्टमेंट में सब इंस्पेक्टर हैं और दादा जय किशन पुलिस महकमे से एसआई रिटायर्ड हैं। कीर्ति हमेशा से ही अपने दादा जय किशन व पिता तरुण शर्मा की तरह अफसर बनना चाहती थी। उसे उसके दादा ने प्रेरित किया और पिता का मार्गदर्शन मिला। गुरुजनों के आशीर्वाद से कीर्ति आगे बढ़ती चली गई और अब लेफ्टिनेंट बनकर अपने परिवार व स्टेट का नाम रोशन किया।
खुशी बयां नहीं कर सकता
कुंजपुरा अशोका नर्सरी निवासी तरुण शर्मा ने कहा कि बेटी ने उनका नाम रोशन किया है। खुशी इतनी है कि बयां नहीं कर सकता। उनके तीन बच्चे हैं। जिसमें कीर्ति सबसे बड़ी है। उससे छोटी लड़की कैफी है, जो देहरादून से एमटीपी न्यूरो कर रही है। बेटा गर्वित ग्रेजुएशन कर रहा है। बेटियों को भी बेटों के समान हक देने चाहिए, क्योंकि बेटियां आज किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं है।
भाई-बहन को देती है ईमानदारी से मेहनत करने की सिख
लेफ्टिनेंट कीर्ति शर्मा परिवार में सबसे बड़ी बेटी होने का फर्ज निभाते हुए छोटे भाई व बहन के लिए प्रेरणा स्त्रोत रहीं है। कीर्ति ने अपने छोटे भाई-बहन को ईमानदारी से मेहनत करने की शिक्षा दी है। कीर्ति उन्हें गीता का उपदेश देते हुए कहती हैं कि ईमानदारी से कर्म करो, फल की इच्छा मत रखो। अगर हमने मेहनत ईमानदारी से की है तो फल भी सकारात्मक ही मिलेगा।