weather 19 6

हरियाणा का लाल बना यूरोप की सबसे ऊंची चोटी पर तिरंगा फहराने वाले पहला भारतीय

हरियाणा World

➤रेवाड़ी के पर्वतारोही नरेंद्र यादव ने यूरोप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एल्ब्रुस पर फहराया तिरंगा
➤माइनस 30 डिग्री तापमान, ऑक्सीजन की कमी और तेज हवाओं के बीच 18,150 फीट पर लहराया झंडा
➤24वां वर्ल्ड रिकॉर्ड अपने नाम कर स्वतंत्रता दिवस पर नशा मुक्ति का संदेश दिया

हरियाणा के रेवाड़ी जिले के नेहरूगढ़ गांव के पर्वतारोही नरेंद्र यादव ने स्वतंत्रता दिवस को ऐतिहासिक बना दिया। 15 अगस्त की सुबह ठीक 9 बजकर 15 मिनट पर उन्होंने यूरोप की सबसे ऊंची माउंट एल्ब्रुस की चोटी पर तिरंगा फहराया। इस मौके पर उन्होंने जय श्रीराम और भारत माता की जय का जयघोष किया और साथ ही तिरंगे के साथ नशा मुक्त भारत का संदेश भी दिया।

तीसरी बार फतह, पहले भारतीय बने

18,150 फीट ऊंची माउंट एल्ब्रुस रूस के काकेशस पर्वत श्रेणी में आती है और भौगोलिक रूप से यूरोप का सबसे ऊंचा पर्वत माना जाता है। नरेंद्र यादव ने यह चोटी तीसरी बार फतह की है, और इस पर सबसे ज्यादा बार चढ़ने वाले पहले भारतीय बन गए हैं। यह उपलब्धि उनके नाम दर्ज 24वां वर्ल्ड रिकॉर्ड है।

Whatsapp Channel Join

अंतरराष्ट्रीय टीम का नेतृत्व

इस अभियान में नरेंद्र यादव दल प्रमुख रहे। 30 वर्षीय नरेंद्र ने जिस 12 सदस्यीय टीम का नेतृत्व किया, उसमें नेपाल, रूस, स्वीडन, बांग्लादेश, ऑस्ट्रेलिया और चिली के पर्वतारोही शामिल थे। उन्हें यह जिम्मेदारी इसलिए मिली क्योंकि वह पहले भी 2017 और 2023 में माउंट एल्ब्रुस पर चढ़ चुके थे।

तैयारी और अभियान की शुरुआत

नरेंद्र 6 अगस्त को भारत से रूस पहुंचे। वहां लगातार अभ्यास और तैयारी के बाद 9 अगस्त को अभियान की औपचारिक शुरुआत हुई। पहले छह दिन दल ने कठोर ऐक्लिमेटाइजेशन ट्रेनिंग ली, जिसमें पर्वतारोहियों को कठिन जलवायु और बर्फीली परिस्थितियों के अनुकूल ढाला जाता है।

हाड़ गलाती ठंड और तेज हवाओं से जंग

14 अगस्त की आधी रात 1 बजे बेस कैंप से अंतिम चढ़ाई शुरू हुई। सभी पर्वतारोहियों को 8 से 10 किलो तक का सामान लेकर माइनस 30 डिग्री सेल्सियस तापमान और 40-50 किमी प्रति घंटे की रफ्तार वाली बर्फीली हवाओं के बीच आगे बढ़ना पड़ा। थोड़ी सी गलती भी जानलेवा साबित हो सकती थी, लेकिन नरेंद्र का अनुभव पूरी टीम के लिए मददगार बना।

अनुभव रहा कामयाब

नरेंद्र पहले ही अंटार्कटिका की सबसे ऊंची चोटी माउंट विंसन और उत्तरी अमेरिका की सबसे ऊंची चोटी माउंट डेनाली फतह कर चुके हैं। वहां उन्हें माइनस 52 डिग्री तापमान में भी पर्वतारोहण करना पड़ा था। इस अनुभव ने उन्हें दल को सुरक्षित चोटी तक पहुंचाने में मजबूती दी।

तिरंगे के साथ नशा मुक्ति का संदेश

15 अगस्त की सुबह जब दल ने चोटी पर कदम रखा, तो नरेंद्र यादव ने तिरंगा फहराया और जय श्रीराम व भारत माता की जय के नारे लगाए। साथ ही उन्होंने एक पंफलेट के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी की नशा मुक्त भारत–नशा मुक्त हरियाणा मुहिम का संदेश दिया।

सम्मान और प्रमाणपत्र मिला

इस उपलब्धि पर किर्गिज गणराज्य पर्वतारोहण और खेल चढ़ाई संघ ने नरेंद्र यादव को प्रमाणपत्र और मेडल देकर सम्मानित किया। नरेंद्र सातों महाद्वीपों की सबसे ऊंची चोटियों पर चढ़ाई पूरी करने वाले भारत के पहले युवा पर्वतारोही हैं।

अगला लक्ष्य और भी चुनौतीपूर्ण

नरेंद्र यादव का अगला लक्ष्य और भी कठिन है। उन्होंने कहा कि अब वे एक्सप्लोरर्स ग्रैंड स्लैम पूरा करेंगे। इसमें सातों महाद्वीपों की चोटियों के साथ-साथ उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव तक पहुंचना शामिल है। इसके अलावा वे सातों महाद्वीपों के ज्वालामुखी पर्वतों पर भी चढ़ाई कर भारत का परचम फहराना चाहते हैं। उनका अगला अभियान अक्टूबर में होगा।

संघर्ष भी कम नहीं रहे

नरेंद्र यादव की राह आसान नहीं रही। पर्वतारोहण के दौरान वह गंभीर बीमारी फ्रॉस्टबाइट (शीतदंश) का शिकार हो चुके हैं। इस कारण दो साल तक उनका इलाज चला और एक बार डॉक्टरों ने उनकी पैर की उंगलियां काटने तक की सलाह दे दी थी। अब उनकी उंगलियां सीधी रहती हैं और पूरी तरह मुड़ नहीं पातीं, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी।

बहन संतोष यादव से मिली प्रेरणा

नरेंद्र ने बताया कि उनकी मौसी की बेटी और मशहूर पर्वतारोही संतोष यादव उनकी प्रेरणा रही हैं। संतोष यादव दुनिया की पहली महिला हैं जिन्होंने 1992 और 1993 में दो बार माउंट एवरेस्ट फतह किया। संतोष कांगशंग रूट से एवरेस्ट चढ़ने वाली भी दुनिया की पहली महिला रहीं। नरेंद्र कहते हैं कि उन्हीं के पदचिह्नों पर चलकर उन्होंने यह सफर शुरू किया।