हरियाणा के फरीदाबाद में लगने वाले मशहूर सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेले को लेकर एक बड़ी घोषणा हुई है। अब इस मेले का आयोजन वर्ष में दो बार किया जाएगा। इससे न केवल दिल्ली-एनसीआर और हरियाणा के कलाकारों को अपनी कला प्रदर्शित करने का अवसर मिलेगा, बल्कि स्वदेशी उत्पादों को भी नया मंच मिलेगा। प्रदेश सरकार ने इस आयोजन के लिए बजट में विशेष प्रावधान किया है।
दीवाली मेले की वापसी
गौरतलब है कि 2023 में तीन से 10 नवंबर तक हरियाणा पर्यटन निगम द्वारा दीवाली मेले का आयोजन किया गया था। हालांकि, किसी कारणवश 2024 में यह मेला नहीं हो सका। अब सरकार ने दोबारा साल में दो बार मेले के आयोजन की घोषणा कर दी है, जिससे इस ऐतिहासिक मेले का विस्तार और अधिक भव्यता से होगा।
सूरजकुंड मेले में 42 देशों के 648 हुनरमंदों ने बिखेरी कला
38वें सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेले में 42 देशों के 648 कलाकारों ने भाग लिया। इस बार दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (DMRC) ने भी इस आयोजन को बढ़ावा देने के लिए अपने मोबाइल एप और मेट्रो स्टेशनों पर मेले की टिकटों की बिक्री शुरू की थी।
थीम स्टेट और भागीदारी देश का नया स्वरूप
साल 2024 के सूरजकुंड मेले में नई परंपरा की शुरुआत हुई। पहले, हर साल एक राज्य को थीम स्टेट और एक देश को भागीदार देश बनाया जाता था, लेकिन इस बार पहली बार दो राज्यों – ओडिशा और मध्य प्रदेश – को थीम स्टेट चुना गया।
इसके अलावा, इस बार केवल एक देश नहीं, बल्कि सात देशों के संगठन ‘बिम्सटेक’ (BIMSTEC) को भागीदार के रूप में जोड़ा गया। बिम्सटेक में भारत, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, म्यांमार, थाईलैंड और श्रीलंका शामिल हैं।
साल में दो बार आयोजन से क्या होंगे फायदे
- स्थानीय कलाकारों को मिलेगा बड़ा मंच
- स्वदेशी उत्पादों को मिलेगा प्रमोशन
- पर्यटन और अर्थव्यवस्था को मिलेगा बढ़ावा
- राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मेले की लोकप्रियता बढ़ेगी
हरियाणा सरकार के इस फैसले से सूरजकुंड मेला न केवल लोकल आर्टिस्ट्स और हस्तशिल्प उद्योग के लिए वरदान साबित होगा, बल्कि देश-विदेश के कलाकारों और पर्यटकों के लिए भी यह एक बड़ी सौगात बनकर उभरेगा।