Lok Sabha Elections 2024 : हरियाणा में लोकसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस की बहुप्रतिक्षित लिस्ट वीरवार रात दबे पांव बाहर आ ही गई। लिस्ट जारी होने के बाद कई बड़े सवाल भी खड़े हो रहे हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि कांग्रेस की जारी लिस्ट में आखिरकार कांग्रेस हाईकमान ने किस गुट की ज्यादा सुनवाई की है। बता दें कि हरियाणा की कांग्रेस पार्टी में दो गुट खुलकर सामने आते रहे हैं। इनमें एक पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और एसआरके यानि कुमारी शैलजा, किरण चौधरी और रणदीप सिंह सुरजेवाला का गुट है।
वहीं माना जा रहा है कि कांग्रेस ने प्रदेश में बाप-बेटे की राजनीति को भी खत्म करने का काम किया है। यह बाप-बेटा कोई और नहीं, बल्कि हाल ही में भाजपा का दामन छोड़ कांग्रेस में शामिल होने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह और उनके बेटे सांसद बृजेंद्र सिंह हैं। बता दें कि कांग्रेस की लिस्ट जारी होने के बाद चर्चा का माहौल है कि प्रदेश की कई लोकसभा सीटों पर खुलकर मुकाबला होगा। कयास हैं कि कांग्रेस चुनाव में फ्रेंडली मैच खेलने को भी तैयार है। जिसके कई राजनीतिक मायने भी लगाए जा रहे हैं।
कांग्रेस ने अपनी लिस्ट में करनाल से भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के सामने दिव्यांशु बुद्धिराजा को चुनावी रण में उतारा है। जिसके बाद इनेलो नेता अभय चौटाला सहित कई नेता पूर्व सीएम हुड्डा पर इसी सीट को लेकर कमजोर उम्मीदवार खड़ा करवाने का आरोप लगा रहे हैं। उनका कहना है कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा यहां कमजोर उम्मीदवार खड़ा कर फ्रेंडली मैच खेलना चाहते हैं। ऐसे में हुड्डा के विपक्षियों का इस विषय पर हमला बोले जाना तह माना जा रहा है। हालांकि मनोहर लाल और दिव्यांशु बुद्धिराजा दोनों पंजाबी चेहरा हैं।
वहीं कयास यह भी हैं कि करनाल से दिव्यांशु को उम्मीदवार बनाना कांग्रेस की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा हो सकता है। बता दें कि दिव्यांशु संगठन को लेकर काफी मेहनत कर चुके हैं, जिसका उन्हें ईनाम दिया गया है। इतना ही नहीं, वह भूपेंद्र सिंह हुड्डा और दीपेंद्र हुड्डा के करीबी हैं। साथ ही युवा कांग्रेस के अध्यक्ष भी हैं। साफ है कि करनाल सीट पर हुड्डा का दबदबा सामने आया है।
वहीं इस सीट पर एनसीपी के नेता वीरेंद्र सिंह मराठा सहित उठ रहे कई नामों पर अब पूर्ण विराम लग गया है। अब देखना यह होगा कि कांग्रेस करनाल सीट पर खुद को हराने का काम करती है या फिर जिताने का। एनपीसी नेता वीरेंद्र सिंह मराठा अब लोकसभा के चुनावी रण में नजर आएंगे या नहीं, यह सिर्फ समय बताएगा। माना जा रहा है कि अगर वह चुनाव में नहीं उतरते हैं तो मराठा वोट बैंक कांग्रेस के पक्ष में जाकर समीकरण को बदल सकता है।
हिसार सीट की बात करें तो यहां पहले भाजपा छोड़कर कांग्रेस में आए बृजेंद्र सिंह का नाम सामने आ रहा था। बता दें कि हाल ही कुछ समय पहले बाप-बेटा यानि पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह और सांसद बृजेंद्र सिंह ने भाजपा का दामन छोड़ कांग्रेस का हाथ थामा है। कयास लगाए जा रहे थे कि कांग्रेस बृजेंद्र सिंह को हिसार सीट से मैदान में उतार सकती है, लेकिन अब कांग्रेस ने बाप-बेटे दोनों को जोर का झटका धीरे से दिया है।
इसके साथ ही बृजेंद्र के सोनीपत सीट से भी चुनाव लड़ने की अटकलें लगाई जा रही थी। इसके यह बात हुड्डा पर आ गिरी थी। सोनीपत से 5 विधायक हुड्डा पक्ष में बताए जा रहे थे। इसके बाद बाप-बेटा हिसार सीट को सुरक्षित मान रहे थे। अब भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने इस सीट पर भी खेल खत्म कर दिया। ऐसे में बाप-बेटा का राजनीतिक भविष्य क्या होगा, यह भविष्य के गर्भ में है। सवाल यह उठ रहे हैं कि क्या बाप-बेटा कांग्रेस के पक्ष में प्रचार करेंगे या नहीं।
बता दें कि कांग्रेस ने हिसार से हुड्डा के करीबी जयप्रकाश पर दांव खेला है। यहां पर भाजपा, जजपा और इनेलो से चौटाला परिवार ही मैदान में है। रणजीत चौटाला भाजपा से, अजय चौटाला की पत्नी नैना चौटाला जेजेपी से और अभय चौटाला की पत्नी सुनैना चौटाला इनेलो से चुनावी रण में है। अब जयप्रकाश का चौटाला परिवार से मुकाबला होगा। एक खास बात यह है कि जयप्रकाश को राजनीति में लाने व सिखाने वाले देवीलाल ही हैं। देवीलाल ने जयप्रकाश को पहला चुनाव लड़वाया और राजनीतिक रूप से उन्हें मजबूती से खड़ा किया है।
सिटी तहलका ने जो अभी तक सर्वे किए है, उसमें पता चला कि जयप्रकाश इलाके की पसंद भी है और वह चुनाव लड़ने में माहिर भी हैं। पुराना अनुभव देवीलाल के परिवार से मुकाबला करने में सहायता तो देगा। पार्टी सूत्रों का कहना है कि सर्वे में वीरेंद्र या बृजेंद्र की नेगेटिव रिपोर्ट आने के बाद कांग्रेस ने उनका नाम ड्रॉप कर दिया।
इसके अलावा हुड्डा गुट के तीसरा झटका देने वाली सीट है भिवानी-महेंद्रगढ़। यहां से कांग्रेस में अहीरवाल चेहरा राव दान सिंह पर दांव खेला गया है। बता दें कि श्रुति चौधरी ने विगत दिवस डी हारेगा ट्वीट कर यह संकेत दे दिए थे कि उनका टिकट कट चुका है। इस बीच श्रुति चौधरी की मां किरण चौधरी ने सोनिया गांधी से मुलाकात कर श्रुति के लिए टिकट फाइनल करने की कोशिश की, लेकिन कामयाब नहीं हो सकी। किरण चौधरी फिलहाल तोशाम से विधायक हैं।
बता दें कि भिवानी-महेंद्रगढ़ की 9 विधानसभा सीटों में 4 सीटें यादव बाहुल्य है। दान सिंह को उतारकर कांग्रेस ने जातीय समीकरण का ध्यान रखा है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि उसके इंटरनल सर्वे में श्रुति चौधरी जिताऊ उम्मीदवार साबित भी नहीं हो रही थी। इसीलिए भी कांग्रेस ने यह निर्णय लिया। पिछले दिनों किरण चौधरी की भी भाजपा में जाने की चर्चाएं जोरों से उठी थी। अब वह दान सिंह और पार्टी की मदद करेगी या प्रचार में साथ न देकर नुकसान पहुंचाएगी, यह देखना दिलचस्प रहेगा।
इसके अलावा रोहतक, सोनीपत और अंबाला सीटों पर आए नामों ने ज्यादा चौंकाने का काम नहीं किया है। रोहतक से दीपेंद्र हुड्डा को टिकट दिया गया है। यहां पर यह भी चर्चा थी कि राज्यसभा सीट बचाने के लिए दीपेंद्र हुड्डा की जगह उनके परिवार के किसी सदस्य को उतारा जा सकता है, लेकिन जिस तरीके से दीपेंद्र अपनी तैयारी में लगे हुए थे। उससे यह स्पष्ट लग रहा था कि यह टिकट उन्हें ही मिलेगा। दीपेंद्र के आने से रोहतक सीट पर कांग्रेस मजबूत स्थिति में है। इसमें कोई दो राय नहीं है। भाजपा के अरविंद शर्मा से हुई पिछली बार की हार का बदला ले पाते या नहीं या वह कितने मार्जिन से ले पाते हैं, अब यह देखना होगा।
सिरसा से भी सिंगल नाम कांग्रेस की वरिष्ठ नेत्री कुमारी शैलजा का चल रहा था और कांग्रेस ने उन्हें पर दाव खेला है। अशोक तंवर जो कि कांग्रेस के पुराने साथी रहे हैं, भाजपा से उम्मीदवार हैं। किसान यहां पर अशोक तंवर का भाजपा प्रत्याशी के रूप में कड़ा विरोध कर रहे हैं। शैलजा इलाके में पकड़ रखे हुए है, वह बड़ी नेत्री हैं। यहां मुकाबला भी दिलचस्प होगा या यह भी कह सकते हैं कांग्रेस का पलड़ा भारी लग रहा है।
उधर अंबाला सीट से सिंगल नाम वरुण मौलाना का शुरुआत से चल रहा था और वह फाइनल हो गया। यहां से भाजपा की बंटो कटारिया मैदान में है, जिन्हें कांग्रेस कमजोर उम्मीदवार मान रही है तो यहां भी मुकाबला दिलचस्प देखने को मिलेगा। इसी तरह सोनीपत से सबसे ऊपर चल रहा नाम सतपाल ब्रह्मचारी का भी टिकट फाइनल हुआ है। हालांकि सतपाल ब्रह्मचारी सोनीपत की राजनीति में सक्रिय नहीं है, लेकिन ब्राह्मण वोट बैंक उनके पक्ष में माहौल बना सकता है।
इसके अलावा फरीदाबाद में गुर्जर वर्सेस गुर्जर मुकाबला कांग्रेस ने करने की सोची है। इस कड़ी में महेंद्र प्रताप को मैदान में उतारा है। भाजपा के कृष्णपाल गुर्जर के महेंद्र प्रताप पुराने प्रतिद्वंदी हैं। सेम सिंबल पर एक-दूसरे के सामने चुनाव लड़ चुके हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि यहां की टिकट सर्वे के आधार पर हाई कमांडर ने दी है। यहां किसी वस्तु की दखलंदाजी नहीं हो पाई। फरीदाबाद सीट पर भी केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर जयपुर मंत्री महेंद्र प्रताप के बीच कड़ी में शानदार मुकाबला देखने को मिलेगा।
वहीं गुरुग्राम में अजय यादव ने हुड्डा गुट के राज बब्बर की पैरवी करने पर कांग्रेस के दावेदार अजय यादव ने कहा था कि अगर टिकट फिल्म स्टार कोई देना है तो रणवीर और ऋतिक को दो राज बब्बर को क्यों। इसके बाद मचे घमासान से हाईकमान ने गुरुग्राम गांव की सीट को घोषणा करने से रोक लिया। माना जा रहा है कि एक-दो दिन में तीसरा सबसे चर्चित नाम है। जिस पर जल्द घोषणा की जा सकती है।