Haryana News : हरियाणा में लोकसभा चुनाव से पहले 4 आईपीएस अधिकारियों की पदोन्नति पर सवाल खड़े होने लगे हैं। वर्ष 2001 बैच के आईपीएस अधिकारी आईजी वाई पूरन कुमार ने इसको लेकर मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को पत्र लिखा है। जिसमें वाई पूरन कुमार ने पदोन्नति के अवैध होने का कारण वित्त विभाग की महज सहमति से केंद्रीय गृह मंत्रालय की गाइडलाइंस को ओवररूल किया जाना बताया। इन 4 आईपीएस अधिकारियों में वर्ष 1991, 1996, 1997 और 2005 बैच के शामिल हैं।
आईजी वाई पूरन कुमार ने मुख्यमंत्री नायब सैनी को भेजे गए पत्र में लिखा है कि उनके द्वारा 11 अक्तूबर 2022 को तत्कालीन गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव टीवीएसएन प्रसाद (अभी मुख्य सचिव) को प्रतिवेदन दिया था कि वर्ष 2001 बैच के अधिकारियों को डीआईजी रैंक में पदोन्नति के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय के गाइडलाइंस के मुताबिक विचार किया जाए। साथ में उनका वेतन दोबारा तय किया जाए और एरियर भी दिया जाए। इसका रिमाइंडर भी उन्हें भेजा गया, लेकिन इसका आज तक निपटारा नहीं किया गया। इससे उन्हें वित्तीय नुकसान हो रहा है।
वाई पूरन कुमार ने पत्र में आरोप लगाया है कि उनके प्रतिवेदन को अंतिम रूप इसलिए नहीं दिया गया, क्योंकि वह और उनके बैचमेट अनुसूचित जाति से संबंध रखते हैं। उन्होंने लिखा है कि प्रदेश के गृह विभाग में वह फाइलें भी एक कानूनी अधिकारी के पास भेज दी जाती हैं, जिनमें कानूनी राय की आवश्यकता भी नहीं है। उनका आरोप है कि जातीय आधार पर उनके साथ भेदभाव हो रहा है, क्योंकि वर्ष 1997 बैच के आईपीएस अधिकारियों को एडवांस में पे फिक्स कर दी गई। एडवांस में वेतन वृद्धि कर दी गई। हालांकि बाद में इन आदेशों को भी होल्ड कर लिया गया, लेकिन उनकी पदोन्नति देरी से की गई।
वहीं आईजी वाई पूरन कुमार ने शिकायत में एक कानूनी अधिकारी के रोल की कहानी बताई है। उनका आरोप है कि यह कानूनी अधिकारी प्रशासनिक मामलों में हर फाइल पर टिप्पणी लिखते हैं और नोटिंग में व्यक्तिगत पूर्वाग्रह रखते हैं। इसका कारण है कि यह सालों से गृह विभाग में तैनात हैं और गाइडलाइंस के मुताबिक तय अवधि से ज्यादा समय से स्थायी तौर पर काम कर रहे हैं। इन्हें विभाग से बदल दिया गया था, लेकिन तबादला आदेश रद्द हो गए।
साथ ही आईजी पूरन ने लिखा है कि यह लॉ ऑफिसर गृह विभाग को कंट्रोल करते हैं और उनके व्यक्तिगत पूर्वाग्रह पूर्व गृह विभाग पर प्रभाव रखते हैं। इन्हें तुरंत प्रभाव से बदला जाना चाहिए। उन्होंने लिखा कि चुनाव से संबंधित रिपोर्ट (जींद एसपी, झज्जर एडिशनल चार्ज सीपी, पंचकूला और भौंडसी में तैनात आईपीएस अधिकारी) मामले में भी जानबूझकर कानूनी प्रकोष्ठ ने देरी की। उनका आरोप है कि सभी आईपीएस अधिकारियों के साथ एक समान व्यवहार किया जाना चाहिए, लेकिन जातीय आधारित आईपीएस कैडर गाइडलाइंस को अपने तरीके से प्रयोग कर मिस मैनेजमेंट चयनित और भेदभाव वाला व्यवहार करते हैं।