Haryana Politics : हरियाणा के जिला सिरसा की रानियां सीट से निर्दलीय विधायक एवं नायब सैनी सरकार के बिजली एवं कारागार मंत्री रणजीत चौटाला पर दलबदल कानून लागू होगा। अप्रैल-मई 2024 में निर्धारित 18वीं लोकसभा आम चुनाव के लिए भाजपा द्वारा उम्मीदवारों की जारी 5वीं लिस्ट में हरियाणा की नायब सिंह सैनी सरकार के कैबिनेट मंत्री रणजीत सिंह चौटाला का नाम भी है। भाजपा की सदस्यता लेने के बाद रणजीत चौटाला को अब नायब सैनी कैबिनेट और अपनी विधानसभा सदस्यता से त्याग पत्र देना होगा। हालांकि अभी तक उन्होंने हरियाणा विधानसभा स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता को अपना इस्तीफा नहीं दिया है।
गौरतलब हे कि रणजीत सिंह चौटाला अक्तूबर 2019 में सिरसा की रानियां विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक निर्वाचित हुए थे। रविवार 24 मार्च की देर शाम को ही वह औपचारिक तौर पर भाजपा में शामिल हुए है। इससे पहले वह नवंबर 2019 में बनी मनोहर लाल के नेतृत्व वाली भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार में भी कैबिनेट मंत्री बनाए गए थे। अब इसी माह नायब सिंह सैनी सरकार में भी उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। रणजीत सिंह चौटाला को दोनों बार बिजली और कारागार विभाग आबंटित किए गए हैं।

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के अधिवक्ता हेमंत कुमार की मानें तो हमारे देश के संविधान की 10वीं अनुसूची, जिसमें दल बदल विरोधी प्रावधान है, के अनुसार सदन का कोई निर्वाचित सदस्य, जिसको विधानसभा में निर्दलीय सदस्य का दर्जा है, वह उस सदन का सदस्य होने के लिए अयोग्य होगा। यदि वह ऐसे निर्वाचन के पश्चात किसी राजनीतिक दल में सम्मिलित हो जाता है। दूसरे शब्दों में हर निर्दलीय के तौर पर निर्वाचित विधायक उसके कार्यकाल के दौरान कोई राजनीतिक पार्टी नहीं जॉइन कर सकता। अगर, वह ऐसा करता है तो उसे सदन की सदस्यता से इस्तीफा देना पड़ेगा।

हेमंत कुमार के अनुसार रानियां विधानसभा से निर्दलीय विधायक रणजीत चौटाला द्वारा विधायक पद से इस्तीफा विधानसभा स्पीकर (अध्यक्ष) को सौंप दिया था अथवा नहीं, इस पर संशय बना हुआ है। अब चर्चा है कि दल-बदल विरोधी कानून के प्रावधान के तहत उनके विरुद्ध जल्द ही विधानसभा सदस्यता से अयोग्य घोषित करने की याचिका स्पीकर के समक्ष दायर की जाने वाली है। वर्ष 2013 सुप्रीम कोर्ट के एक निर्णय के बाद न केवल सदन का सदस्य (विधायक) बल्कि सामान्य व्यक्ति भी ऐसी याचिका दायर कर सकता है।

हाईकोर्ट के वकील हेमंत का कहना है कि इस माह 12 मार्च को मंत्री पद की शपथ लेते समय रणजीत विधायक थे, इसलिए उनका मंत्रिमंडल से भी त्यागपत्र देना बनता है, जो मुख्यमंत्री के मार्फत प्रदेश के राज्यपाल को सौंपा जाएगा। हालांकि विधायक न होते हुए भी कोई व्यक्ति प्रदेश का मुख्यमंत्री या मंत्री नियुक्त हो सकता है। बशर्ते उस नियुक्ति के 6 महीने के भीतर वह व्यक्ति विधानसभा का सदस्य अर्थात विधायक बन जाए। जैसे वर्तमान मुख्यमंत्री नायब सैनी भी मौजूदा विधानसभा के सदस्य नहीं हैं, लेकिन रणजीत चौटाला पर यह लागू नहीं होगा। वैसे भी रणजीत को हिसार से भाजपा का लोकसभा उम्मीदवार घोषित कर दिया गया है, इसलिए उनका प्रदेश मंत्रिमंडल में रहने का औचित्य नहीं बनता।