(समालखा से अशोक शर्मा की रिपोर्ट) गुरुद्वारा नानक दरबार साहिब में संगत द्वारा Guru Ramdas जी का प्रकाश पर्व बड़ी श्रद्धा और सत्कार के साथ मनाया गया। इस उपलक्ष्य में मनजीत कौर के परिवार द्वारा श्री सहज पाठ साहिब के भोग डाले गए। इसके बाद भाई गुरमुख ने गुरबाणी कीर्तन करके संगत को निहाल किया।
इस अवसर पर गुरुद्वारा कमेटी के प्रधान जगतार सिंह बिल्ला ने संगत को संबोधित करते हुए कहा कि श्री गुरु रामदास जी का जन्म 24 सितंबर, 1534 को लाहौर की चूना मंडी में माता दयाजी और पिता हरदासजी के घर हुआ था। वे सिखों के चौथे गुरु थे, और उनके जन्मदिवस को प्रकाश पर्व या गुरुपर्व भी कहा जाता है।

बिल्ला ने बताया कि बाल्यकाल में उन्हें ‘भाई जेठाजी’ के नाम से जाना जाता था। छोटी उम्र में ही उनके माता-पिता का स्वर्गवास हो गया, जिसके बाद वे अपने नाना-नानी के पास बासरके गांव में रहने लगे।
गुरु अमरदास जी के दर्शन करने के बाद, भाई जेठाजी ने उनकी सेवा में पहुंचकर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। सेवा से प्रसन्न होकर गुरु अमरदास जी ने अपनी बेटी का विवाह भाई जेठाजी से करने का निर्णय लिया। विवाह के बाद भी उन्होंने गुरु अमरदास जी की सेवा जमाई बनकर नहीं, बल्कि एक सिख के रूप में तन-मन से की। इस कार्यक्रम में सुरेन्द्र कुमार, शाम सिंह, नारायण दास, की कौर, भूपिन्द्र कौर, आशा अरोड़ा, और सरोज देवी उपस्थित रहे।