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Guru Arjun Dev ने धर्म और सेवा में बलिदान किया अपना जीवन, गुरुद्वारा नानक दरबार साहिब में 18 दिन से सुखमणी साहब का पाठ जारी

पानीपत धर्म-कर्म

(समालखा से अशोक शर्मा की रिपोर्ट) पानीपत के खंड समालखा के मॉडल टाउन स्थित गुरुद्वारा नानक दरबार साहिब में संगत द्वारा किए जा रहे सुखमणी साहब के पाठ आज 18वें दिन में प्रवेश कर गए है। इस दौरान शहीदों के सरताज 5वें गुरु श्री अर्जुन देव जी की मीठी याद में 40 दिन के पाठ किए जा रहे है। 18वें दिन गुरमुख सिंह ने गुरुवाणी कीर्तन करके संगत को निहाल किया। वहीं आज के प्रसाद की सेवा सेवादार सुभाष मल्होत्रा के परिवार की ओर से दी गई।

इस अवसर पर गुरुद्वारा कमेटी के प्रधान जगतार सिंह बिल्ला ने कहा कि गुरु अर्जुन देव ने अपना जीवन धर्म और लोगों की सेवा में बलिदान कर दिया। वह दिन रात संगत और सेवा में लगे रहते थे। सभी धर्मों को एक समान दृष्टि से देखते थे। गुरु अर्जुन देव का जन्म सिख धर्म के चौथे गुरु, गुरु रामदासजी और माता भानीजी के घर 15 अप्रैल 1563 को गोइंदवाल (अमृतसर) में हुआ। गुरु अर्जुन देव सिख धर्म के 5वें गुरु हैं। वह शिरोमणि, सर्वधर्म समभाव के प्रखर पैरोकार होने के साथ-साथ मानवीय आदर्शों को कायम रखने के लिए आत्म बलिदान करने वाले एक महान आत्मा थे।

पाठ

बिल्ला ने बताया कि गुरु अर्जन देव ने अमृतसर नगर का निर्माण कार्य आगे बढ़ाया था। उन्होंने अमृत सरोवर का निर्माण करवाया और उसमें हरमिंदर साहिब की स्थापना करवाई। गुरु अर्जन देव के समय में तरनतारन नगर बसाया गया था। बादशाह अकबर भी गुरु अर्जन देव का सम्मान करता था। गुरु अर्जन देव ने सभी जातियों के उद्धार के लिए सामाजिक कार्य किए थे। जहांगीर द्वारा गुरु अर्जन देव को तरह-तरह से प्रताड़ित किया गया था, जो उनकी शहादत का कारण बना। इस मौके पर काफी संख्या में संगत मौजूद रही।

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