समालखा से अशोक शर्मा रिपोर्ट : चलो थियेटर उत्सव के दूसरे दिन दूसरा आदमी, दूसरी औरत नाटक का मंचन किया गया। इस नाटक के माध्यम से समाज को संदेश दिया गया कि विवाहेतर संबंध किसी भी तरह से ठीक नहीं हैं। यह न केवल आपसी संबंधों को और खराब करते हैं, बल्कि समाज और अपनों से रिश्तों के टूट का कारण भी बनते हैं।
रास कला मंच की ओर से यहां पाइट कॉलेज में चलो थियेटर उत्सव मनाया जा रहा है। संस्कृति मंत्रालय, हरियाणा कला परिषद एवं गीता सरोवर पोर्टिको का सहयोग है। दूसरा आदमी-दूसरी औरत नाटक में निर्देशक रवि मोहन ने संभव सिंह का किरदार निभाया है। कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी के मास कम्युनिकेशन विभाग से डॉ. मधुदीप सिंह ने शोमा दास का किरदार निभाया। शोमा दास मुंबई शहर में नौकरी करनी आती है, पति उनका दूसरी जगह रहता है। संभव सिंह का परिवार भी दूसरी जगह रहता है।
अकेलेपेन में दोनों के बीच पहले दोस्ती और बाद में शारीरिक संबंध बनते हैं। इन्हीं संबंध के बाद इनके रिश्तों में दरार आने लगती है। आखिरकार इन दोनों को समझ में आता है कि यह रिश्ता गलत है। इनके रिश्ते की वजह से मन और समाज पीछे छूटता जा रहा है। शरीर हमारे मन के भावों के साथ प्रेम की भी अभिव्यक्ति का माध्यम है, लेकिन देह इतनी महत्वपूर्ण नहीं होनी चाहिए कि मन और समाज दोनों हमसे छूट जाएं।