पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने नूंह में सरकार की बुलडोजर कार्रवाई रोकने के आदेश में तलख टिप्पणियां की हैं। हाईकोर्ट ने अहम फैसलों के साथ हिंसा के बाद चल रहे सरकार के बुलडोजर एक्शन पर रोक लगाई है। हाईकोर्ट ने कहा कि शक्ति भ्रष्ट करती है और पूर्ण शक्ति पूर्णत: भ्रष्ट कर देती है। हमारे संज्ञान में आया है कि प्रदेश में अनावश्यक कार्यवाही की जा रही है।
नूंह के डीसी धीरेंद्र खड़घटा ने हाईकोर्ट के आदेश के बाद संबंधित अधिकारियों को बुलडोजर कार्यवाही पर रोक लगाने के निर्देश दिए। इससे पहले प्रशासन की ओर से नूंह में 37 जगहों पर बुलडोजर अभियान चलाया गया। जिसके तहत 250 झुग्गियों सहित कई घरों व दुकानों को गिराया गया। प्रशासन की ओर से इन प्रतिष्ठानों में रहने वाले कई लोगों को नूंह हिंसा की घटना में शामिल होना बताया था।
हाईकोर्ट के फैसले पर यह रहे मुख्य बिंदु
-पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने खबरों पर संज्ञान लेते हुए हरियाणा के एक मंत्री के बयान पर भी सवाल उठाए हैं। मंत्री ने बयान में कहा था कि सांप्रदायिक हिंसा की जांच में बुलडोजर एक्शन को इलाज का हिस्सा बताया था। अब हाईकोर्ट ने मंत्री के बयान से जुड़ी खबर को मामले से जुड़ी फाइल में अटैच करने के आदेश दिए हैं।
-हाईकोर्ट के न्यायाधीश जीएस संधावालिया और न्यायाधीश हरप्रीत कौर जीवन की पीठ ने सरकार से सवाल पूछते हुए कहा कि क्या बुलडोजर कार्यवाही कानूनी प्रक्रिया के तहत की जा रही है। हाईकोर्ट ने प्रदेश के अधिवक्ता जनरल को बुलाकर कार्यवाही की आलोचना भी की और विशेष समुदाय को निशाना बनाने की बात कहीं। हाईकोर्ट ने कहा कि बगैर कानूनी नियमों और नोटिस दिए निर्माण गिरवाना गलत है।
– पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने अतिरिक्त गृह सचिव, सीएस और डीजीपी को एफिडेविट दायर करने के निर्देश दिए हैं। सभी से जवाब तलब करने के लिए नोटिस जारी किए गए हैं। हाईकोर्ट का कहना है कि मौजूदा स्थिति को देखते हुए हम नोटिस देने के लिए बाध्य हैं। मामले के बारे में स्पष्ट किया जाए। जिस पर एजी ने इस बारे में जांच करवाकर जवाब देने की बात कहीं है।
-हाईकोर्ट ने प्रदेश के अधिवक्ता जनरल से भी सवाल किया कि क्या भवन कानूनी प्रक्रिया के तहत गिराए गए हैं और निर्माण गिराने से पहले नोटिस जारी किए गए थे।
-हाईकोर्ट का कहना है कि सरकार की ओर से की गई बुलडोजर कार्रवाई अधिकारों का हनन है। कोर्ट ने यह भी पूछा है कि नूंह और गुरुग्राम में कितने अवैध निर्माणों को गिराया गया है। क्या सभी कानूनी प्रक्रिया के तहत गिराए गए हैं।
-पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने सवाल पूछते हुए कहा कि जिन निर्माणों को गिराया गया है, क्या उन्हें गिराने से पहले नोटिस दिए गए हैं। क्या यह कार्य कानूनी दायरे में किया गया है। मामले को लेकर सहयोग के लिए एक कोर्ट मित्र भी नियुक्त किया गया।