Punjab के पूर्व डिप्टी CM सुखबीर सिंह बादल पर बुधवार को अमृतसर स्थित गोल्डन टेंपल के बाहर फायरिंग की गई। हालांकि, इस हमले में वह बाल-बाल बच गए। सुरक्षाकर्मियों ने आरोपी को तुरंत पकड़ लिया और उसके पास से पिस्टल भी बरामद की गई। इस सनसनीखेज घटना ने हर किसी को चौंका दिया, क्योंकि सुखबीर बादल अकाल तख्त से जुड़ी धार्मिक सजा भुगतने के लिए वहां पहुंचे थे।

हमलावर का राजनीतिक कनेक्शन और हमले का कारण
फायरिंग करने वाले व्यक्ति की पहचान गुरदासपुर जिले के डेराबाबा नानक निवासी नारायण सिंह चौड़ा के रूप में हुई है, जो दल खालसा का सदस्य बताया जा रहा है। हमले के वक्त सुखबीर बादल अकाल तख्त की सजा भुगतने के लिए घंटाघर के बाहर बैठे थे, तभी उस पर हमला हुआ।
इस हमले के पीछे धार्मिक और राजनीतिक विवादों की लंबी श्रृंखला हो सकती है। कुछ महीने पहले, श्री अकाल तख्त ने सुखबीर सिंह बादल को धार्मिक दुराचार के आरोपों में ‘तनखैया’ (धार्मिक अपराधी) घोषित किया था, जिससे सिख समुदाय में गहरी नाराजगी पैदा हुई थी। इससे पहले, 2007 में, सुखबीर बादल सरकार ने डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख राम रहीम के खिलाफ दर्ज मामले को वापस ले लिया था, जिसके बाद धार्मिक समुदाय में असंतोष बढ़ गया था।

पंजाब में हालात और बढ़े तनाव के संकेत
इसके अलावा, अकाली दल सरकार के कार्यकाल में हुई कई धार्मिक घटनाओं की जांच में लापरवाही भी सिख पंथ के गुस्से का कारण बनी। 2015 में गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के मामले में सरकार की निष्क्रियता और फर्जी पुलिस मुठभेड़ों में सिख युवाओं की हत्याएं भी विवादों का हिस्सा रही हैं।

क्या यह हमला इन विवादों का परिणाम है? पंजाब की राजनीतिक और धार्मिक स्थिति में बढ़ती घातक घटनाओं ने राज्य में तनाव को और बढ़ा दिया है। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है, लेकिन सवाल यह है कि क्या यह हमला अकेले नारायण सिंह चौड़ा की व्यक्तिगत कार्रवाई थी, या इसके पीछे कहीं और की साजिश छिपी हुई है?