फसल अवशेषों में आगजनी की घटनाओं पर अंकुश लगाने की कवायद में जुटे कृषि विभाग ने इस बार जीरो बर्निंग टारगेट निर्धारित किया है। जिसके अंतर्गत रेड जोन और यैलो जोन में शामिल गांवों की पंचायतों को भी नकद राशि वितरित कर प्रोत्साहित किया जाएगा।
रेड जोन में शामिल गांव की पंचायत में अगर खरीफ सीजन में फसल अवशेषों में आगजनी की घटना शून्य रहती है, तो गांव की पंचायत को 1 लाख रुपए का प्रोत्साहन मिलेगा। वही यैलो जोन में शामिल गांवों की पंचायत को 50 हजार रुपए की राशि दी जाएगी।
अक्तूबर व नवम्बर माह में धान की कटाई की प्रक्रिया शुरू
सोनीपत जिले में करीब 1 लाख हैक्टेयर भूमि में धान की बिजाई व रोपाई किसानों द्वारा की गई है। धान की फसल अपने अंतिम चरण में पहुंच गई है। अक्तूबर व नवम्बर माह में धान की कटाई की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। कई बार धान के अवशेषों में किसान आगजनी कर देते हैं। जिसके कारण वायु प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ जाता है। अक्तूबर-नवम्बर माह में वातावरण में ठंड की वजह से नमी अधिक होने के ऐसी स्थिति में सांस लेने में भी लोगों को परेशानी झेलनी पड़ती है। ऐसे में इस बार सोनीपत कृषि विभाग ने जीरो बर्निंग टारगेट निर्धारित किया है। जिसकी रूपरेखा तैयार की गई है।
यैलो जोन में 42 गांवों तक पहुंच गई संख्या
फसल अवशेषों में आगजनी की घटनाओं को रोकने के लिए कृषि विभाग द्वारा पूरे जिले को रेड और यैलो जोन में बांटा है। वर्ष 2021 में सोनीपत जिले में रेड जोन में पांच गांव शामिल थे, वहीं यैलो जोन में यह संख्या करीब 42 गांवों तक पहुंच गई थी। परन्तु गत खरीफ सीजन में विभाग की तरफ से चलाए गए जागरूकता अभियान व सख्ती के बाद रेड जोन में इस बार महज एक गांव ही शामिल है।
गंगाना गांव को छोडक़र सभी गांव रेड जोन से बाहर आ चुके हैं। वहीं फसल अवशेषों में आगजनी करने वालों की लिस्ट में अब कमी आई है। येलो जोन में मौजूद सीजन के लिए महज 16 गांवों को शामिल किया गया है। जिसके अंतर्गत सोनीपत ब्लाक से गांव ककरोई, गन्नौर ब्लाक से गांव रहमाना, गोहाना ब्लाक में माहरा, मोई सहित पांच गांव शामिल है। मुडलाना ब्लाक की बात करे तो येलो जोन में जागसी, बरोदा मोर चार गांव शामिल किए गए है। कथूरा ब्लाक में मिर्जापुर खेड़ी, कथूरा आदि पांच गांव शामिल किए गए है।
जमीनी स्तर पर भौतिक सत्यापन के लिए टीमों का किया गठन
फसल अवशेषों में जागजनी की घटनाओं को पूरी तरह से रोकने के लिए न सिर्फ सेटीलाइट के माध्यम से नजर रखी जाएगी, बल्कि कृषि विभाग ने जमीनी स्तर पर भौतिक सत्यापन के लिए टीमों का गठन भी किया गया है। वर्ष 2021 में आगजनी की जिले में करीब 204 घटनाएं सामने आई थी। वर्ष 2022 में यह घटनाएं कम होकर करीब 100 रह गई थी।
विभाग इस बार इन घटनाओं को शून्य पर लाना चाहता है। गत वर्ष भी फसलों के अवशेषों में आगजनी करने की बजाए फसल प्रबंधन करने वाले किसानों को प्रति एकड के हिसाब से 1 हजार रुपए दिया गया था। इस बार भी कृषि विभाग किसानों को इसी तरह प्रोत्साहन करेगा। हालांकि इसके लिए किसानों को पोर्टल पर अपना पंजीकरण करवाना होगा।
पंचायतों का सहयोग भी विभाग के लिए महत्वपूर्ण
फसल अवशेषों को जलने से रोकने के लिए कृषि विभाग ने रुपरेखा तैयार की है। पंचायतों का सहयोग भी विभाग के लिए महत्वपूर्ण है। ऐसे में रेड में शामिल गांव में अगर इस बार फसल अवशेषों में आगजनी की घटना नही होती है तो पंचायत को एक लाख रुपए दिए जाएंगे। वहीं यैलो जोन क्षेत्र की पंचायतों को 50-50 हजार की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। किसानों का आह्वान है कि वे फसल अवशेषों में आगजनी की बजाए प्रबंधन पर फोकस करे।