Haryana रोडवेज के 26 जनवरी को पांच जिलों में इलेक्ट्रिक बस सेवा शुरू करने के फैसले ने कर्मचारियों में भारी असंतोष पैदा कर दिया है। कर्मचारियों ने सरकार पर परिवहन विभाग के निजीकरण की साजिश रचने का गंभीर आरोप लगाया है।
कर्मचारियों का कहना है कि सरकार प्रति किलोमीटर 62 रुपये 37 पैसे की भारी रकम प्राइवेट कंपनियों को देकर विभाग को नुकसान पहुंचा रही है। यह कदम सीधे तौर पर प्राइवेट कंपनियों को फायदा पहुंचाने की योजना है। बसों में ड्राइवर निजी कंपनी का होगा, जबकि परिचालक सरकार का, जिससे विभागीय संतुलन बिगड़ने की संभावना है।

सांझा मोर्चा का तीखा विरोध
रोहतक बस स्टैंड पर सांझा मोर्चा की अध्यक्षता में हुई बैठक में कर्मचारी नेताओं ने इस योजना का पुरजोर विरोध किया। मोर्चा के सदस्य सुमेर सिवाच ने कहा कि इस योजना से न केवल सरकार को करोड़ों का नुकसान होगा, बल्कि जनता और विभाग पर भी नकारात्मक असर पड़ेगा। सरकारी बसों में मिलने वाली रियायतें, जैसे महिलाओं, छात्रों और बुजुर्गों के मुफ्त पास, इन इलेक्ट्रिक बसों में मान्य नहीं होंगे।

भविष्य में आंदोलन की चेतावनी
कर्मचारियों ने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर यह योजना वापस नहीं ली गई तो वे बड़े आंदोलन के लिए मजबूर होंगे। सिवाच ने कहा, “इससे पहले भी ऐसी योजनाओं को कर्मचारियों के विरोध के चलते रोकना पड़ा था, और अब भी सरकार को ऐसा ही करना पड़ेगा।”