➤भिवानी में सरस्वती स्पिनिंग मिल को 1972 में दी गई 64 कनाल 10 मरला सरकारी भूमि नियमों के खिलाफ बेच दी गई।
➤आरटीआई से खुलासा हुआ कि यह भूमि बिना सरकारी अनुमति के बेची गई और अब तक कई लोगों के नाम पर इंतकाल हो चुका है।
➤स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो व मुख्य सचिव को शिकायत देकर दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है।
हरियाणा के भिवानी जिले में एक बड़े भूमि घोटाले का पर्दाफाश हुआ है, जिसमें नियमों को दरकिनार करते हुए लगभग 150 करोड़ रुपये मूल्य की सरकारी भूमि को निजी हाथों में बेच दिया गया। यह खुलासा सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI) के तहत मांगी गई जानकारी से हुआ है। बताया गया है कि यह भूमि वर्ष 1972 में सरकार द्वारा अधिगृहित कर सरस्वती स्पिनिंग मिल को विशिष्ट शर्तों के साथ आवंटित की गई थी, लेकिन मिल बंद होने के बाद भी भूमि को सरकार को वापस न लौटाकर भूमाफिया और तहसील अधिकारियों की मिलीभगत से बेच दिया गया।
सरकारी भूमि का गलत उपयोग, नियमों की खुलेआम अवहेलना
स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के अध्यक्ष बृजपाल सिंह परमार द्वारा दायर RTI के माध्यम से मिले दस्तावेजों से यह स्पष्ट हुआ है कि 64 कनाल 10 मरला भूमि, जो कि तोशाम बाईपास-बापोडा मार्ग पर जूई नहर के पास स्थित है, को 13 अक्टूबर 1972 को एक अधिसूचना के तहत उद्योग एवं वाणिज्य विभाग द्वारा अधिगृहित किया गया था। इस भूमि को सरस्वती स्पिनिंग मिल को विशिष्ट उपयोग—जैसे कि श्रमिकों के लिए विद्यालय, अस्पताल, खेल परिसर, आवास आदि—के लिए आवंटित किया गया था।
शर्त थी कि यदि मिल संचालन में विफल होती है या बंद हो जाती है, तो यह भूमि सरकार की अनुमति के बिना किसी को बेची नहीं जा सकती। इसके बावजूद, 2001 से अब तक, कई निजी व्यक्तियों को यह भूमि बेची गई और राजस्व विभाग में नए मालिकों के नाम पर इंतकाल भी दर्ज हो चुके हैं।
सरकारी आदेशों की अनदेखी, विभागीय चुप्पी पर सवाल
जब 2019 में उद्योग एवं वाणिज्य विभाग को इस भूमि बिक्री की सूचना मिली, तो 15 नवंबर 2019 को विभाग की ओर से भिवानी के तहसीलदार को पत्र भेजकर स्पष्ट निर्देश दिए गए कि इस भूमि की बिक्री पर रोक लगाई जाए। लेकिन अधिकारियों ने उस पत्र को दबा दिया और भूमि बिक्री का सिलसिला चलता रहा।
पटवारी की रिपोर्ट के अनुसार, अब तक 60 कनाल 15 मरला भूमि बेची जा चुकी है, और कुछ हिस्सा जूई नहर क्षेत्र में भी आता है, जो एक और कानूनी उल्लंघन का संकेत है।
भ्रष्टाचार के खिलाफ शिकायत, दोषियों पर कार्रवाई की मांग
बृजपाल सिंह परमार ने इस गंभीर भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए मुख्य सचिव, अतिरिक्त मुख्य सचिव (उद्योग एवं वाणिज्य विभाग) और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB), पंचकूला को औपचारिक शिकायत भेजी है। उन्होंने मांग की है कि इस सरकारी भूमि को तुरंत वापस सरकार के अधीन लिया जाए और दोषी तहसील अधिकारी, पटवारी तथा शामिल भूमाफिया पर कानूनी और विभागीय कार्रवाई की जाए।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इस घोटाले से न केवल सरकार को भारी वित्तीय नुकसान हुआ है, बल्कि यह मामला सरकार की संपत्तियों की सुरक्षा और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करता है।