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मशीनें बनीं पर्यावरण संरक्षण के लिए वरदान, पराली जलाने में आई 50% की कमी

सिरसा

सिरसा में जिले के किसान पराली का प्रबंधन कर पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने के लिए अपनी अहम भूमिका निभा रहे हैं। पर्यावरण संरक्षण जीवन के लिए अहम है। पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के लिए विभाग अपनी ओर से हर प्रकार की कोशिश में जुटा हुआ है। विभाग का दावा है कि मशीन के चलते जिले में पराली जलाने के घटनाओं में 50 फीसदी तक कमी आई है।

विभाग ने कहा कि इससे साथ ही बेलर और सुपरसीडर मशीनरी की भी मांग बढ़ी है। इस बार भी 3400 किसानों ने मशीनरी के लिए आवेदन किया है, जो पिछले वर्ष से अधिक है।

मशीनरी उपलब्ध करवाना वरदान हुआ साबित

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जिले में पराली प्रदूषण को नियंत्रण करने में कृषि विभाग को बड़े स्तर पर सफलता मिली है। किसानों को पराली प्रबंधन के लिए मशीनरी उपलब्ध करवाना वरदान साबित हुआ है। इसके साथ ही पिछले वर्ष सरकार ने पराली प्रबंधन करने पर जिले में 10261 किसानों को 9 करोड़ 88 लाख रुपये प्रोत्साहन राशि के स्वरूप दिए गए।

बड़े स्तर पर मिलने वाली प्रोत्साहन राशि का ही परिणाम है कि किसान पराली प्रबंधन की दिशा में कदम उठा रहे हैं। अब अक्तूबर माह में विभाग के अधिकारी नियमित रूप से गांवों में कैंप लगाकर किसानों पराली प्रबंधन के लिए जागरूक करेंगे।

रेड जोन में आने वाले गांव आए ग्रीम जोन में

विभाग के अधिकारियों की माने तो कई बड़े गांव जो वर्षों से पराली जलाने में रेड जोन में आते थे। अब ग्रीन जोन में आ गए हैं। हालांकि गांव ऐसे है जिनमें मशीनरी देने के बाद भी सुधार नहीं हो रहा है, उन गांवों पर इस साल विशेष रूप से फोकस किया जाएगा। ताकि जिले में पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सके।

क्या है बदलाव के कारण

अधिकारियों की माने तो किसानों में प्रदूषण को लेकर जागरूकता आई है। किसान जलाने से ज्यादा पराली के इस्तेाल के विकल्प खोज रहा है। इससे की कुछ मुनाफा हो सके। ऐसी स्थिति में पराली की गांठ बनाने कर उसे बेचकर पैसा किसान कमा सकता है।

सरकार भी एक हजार रुपये प्रोत्साहन राशि पराली किसान को प्रति एकड़ दे रही है। पराली की खरीद को लेकर ईंट भट्ठे के कारोबारी व अन्य प्रोडक्ट बनाने वाली एजेंसियां सामने आई हैं। राजस्थान से आने वाले व्यापारी भी पशुओं के चारे के रूप में पराली का बड़े स्तर पर इस्तेमाल करते हैं। यही कारण है कि किसानों की सोच में बदलाव आया है।

किसानों को मशीनरी उपलब्ध करवाने के साथ साथ जागरूक किया जा रहा है। इसके परिणाम स्वरूप पिछले वर्ष 50 प्रतिशत पराली प्रदूषण कम हुआ है। इस वर्ष भी किसानों की बड़े स्त मशीनरी की मांग आई है। मशीनरी देने के साथ हम लोगों को जागरूक करेंगे।