Kamal Diwan Sonipat mayor election

सोनीपत में मेयर उपचुनाव के लिए कांग्रेस ने कमल दीवान पर खेला दांव: जल्द होगी घोषणा – पार्टी सूत्र

हरियाणा सोनीपत

हरियाणा के सोनीपत नगर निगम में मेयर उपचुनाव को लेकर राजनीतिक हलकों में चर्चा तेज हो गई है। कांग्रेस ने अपने कैंडिडेट के रूप में पूर्व विधायक के बेटे कमल दीवान को मैदान में उतारने का निर्णय लिया है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, कमल दीवान का नाम फाइनल हो चुका है, हालांकि इस घोषणा को आधिकारिक रूप से अभी जारी किया जाना बाकी है। बीजेपी ने पहले ही अपने उम्मीदवार का नाम घोषित कर दिया था, लेकिन बाद में उसकी लिस्ट को डिलीट कर दिया गया था, फिर भी वह लिस्ट फाइनल मानी जा रही है। इसके बाद कांग्रेस ने भी अपने उम्मीदवार का चयन कर लिया है, जिससे चुनावी समीकरण और दिलचस्प हो गया है। आइए जानते हैं इस उपचुनाव के संभावनाओं, रणनीति और चुनावी समीकरण के बारे में विस्तार से।

कमल दीवान का परिचय

कमल दीवान का जन्म 1973 में सोनीपत में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा 11वीं कक्षा तक सोनीपत में ही प्राप्त की। पंजाबी समाज से संबंधित होने के कारण कांग्रेस ने उन्हें उम्मीदवार बनाने का निर्णय लिया है। उनका परिवार कांग्रेस से लंबे समय से जुड़ा हुआ है, और उनके पिता, स्व. देवराज दीवान, 2014 में विधानसभा चुनाव के प्रभारी रहे थे। इसके अलावा, वे सोनीपत कांग्रेस के चुनाव संगठन में भी सक्रिय थे।

कमल दीवान वर्तमान में दीवान चैरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं और समाजिक कार्यों में सक्रिय रूप से शामिल हैं। वे धर्मार्थ स्थानों और गैर सरकारी संगठनों से जुड़े हुए हैं, जिससे उन्हें एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में भी जाना जाता है।

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पंजाबी चेहरे पर कांग्रेस का दांव

सोनीपत में पंजाबी समाज के वोटers का महत्वपूर्ण प्रभाव है, और कांग्रेस ने इसी सामाजिक समीकरण को ध्यान में रखते हुए कमल दीवान को उम्मीदवार बनाया है। कमल दीवान का पंजाबी समाज में अच्छा प्रभाव है और उनकी सामाजिक सेवाओं के कारण उन्हें सम्मान प्राप्त है। कांग्रेस ने इस दांव को खेलते हुए पंजाबी वोटरों को आकर्षित करने की कोशिश की है, जबकि बीजेपी ने वैश्य समाज से जुड़े राजीव जैन को अपना उम्मीदवार बनाया है, जिनके पास लगभग 15,000 वैश्य वोटर हो सकते हैं।

चुनावी समीकरण

सोनीपत नगर निगम मेयर उपचुनाव में राजनीतिक समीकरण बेहद दिलचस्प होने वाला है। यहाँ लगभग 70,000 पंजाबी वोटर हैं, जो कांग्रेस के पक्ष में जा सकते हैं। वहीं, वैश्य समाज के करीब 15,000 वोटर बीजेपी के पक्ष में हो सकते हैं। इसके अलावा, एंटी-बीजेपी वोट भी कांग्रेस के पक्ष में जा सकते हैं, खासकर उन क्षेत्रों में जहां बीजेपी का प्रभाव कम है। जाट वोटर भी इस चुनावी समीकरण का अहम हिस्सा हो सकते हैं, जिनका समर्थन कांग्रेस को मिल सकता है, खासकर कमल दीवान के पंजाबी समाज से होने के कारण।

बीजेपी का दावा है कि लोकसभा चुनावों के बाद उन्होंने दिल्ली में जीत हासिल की है और अब हरियाणा में भी स्थानीय निकाय चुनावों में सफलता प्राप्त करेंगे। बीजेपी ने “ट्रिपल इंजन” सरकार बनाने का दावा किया है, जिसमें केंद्र, राज्य और स्थानीय निकाय चुनावों में उनकी जीत की उम्मीद जताई जा रही है। हालांकि, कांग्रेस ने भी अपनी पूरी ताकत सोनीपत में लगा दी है और स्थानीय निकाय चुनाव में जीत की उम्मीद जताई है।

कांग्रेस के लिए चुनौती

कांग्रेस के लिए यह चुनाव चुनौतीपूर्ण हो सकता है, क्योंकि हाल ही में पार्टी ने हरियाणा विधानसभा चुनाव में हार का सामना किया था और दिल्ली में भी अपना खाता नहीं खोल पाई थी। सोनीपत दिल्ली से सटा हुआ जिला है, जहां बीजेपी का प्रभाव मजबूत हो सकता है। इसके बावजूद, कांग्रेस अपने कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने और स्थानीय निकाय चुनाव में जीत की उम्मीद बनाए रखने में जुटी है।

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कांग्रेस की कोऑर्डिनेशन कमेटी का निर्णय

सोनीपत जिले की कांग्रेस की कोऑर्डिनेशन कमेटी की बैठक हुई थी, जिसमें पार्टी के कई वरिष्ठ नेता शामिल हुए थे। इस बैठक में मौजूदा विधायक, पूर्व विधायक, पूर्व सांसद, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष, और चुनाव प्रभारी सहित कई प्रमुख नेताओं ने विचार-विमर्श किया। बैठक में कमल दीवान के नाम पर मुहर लगाई गई और उन्हें कांग्रेस का उम्मीदवार घोषित किया जाएगा, हालांकि अभी तक इस घोषणा को आधिकारिक रूप से जारी नहीं किया गया है।

निष्कर्ष

सोनीपत मेयर उपचुनाव में कांग्रेस और बीजेपी के बीच मुकाबला दिलचस्प होने वाला है। दोनों पार्टियां अपनी-अपनी रणनीतियों के तहत उम्मीदवारों को मैदान में उतारने की पूरी कोशिश कर रही हैं। कांग्रेस का उद्देश्य पंजाबी समाज के वोटों को अपने पक्ष में लाना है, जबकि बीजेपी ने वैश्य समाज को आकर्षित करने के लिए राजीव जैन को उम्मीदवार बनाया है। यह चुनावी मुकाबला भविष्य में सोनीपत की राजनीति को प्रभावित कर सकता है, और कांग्रेस के लिए यह अपनी छवि को फिर से मजबूत करने का एक अवसर हो सकता है