Your paragraph text 22
हरियाणा रोहतक

रोहतक (हरियाणा): राजस्थान के चूरू में हुए जैगुआर फाइटर प्लेन हादसे में शहीद हुए पायलट लोकेंद्र सिंधु का पार्थिव शरीर आज करीब 3 बजे दिल्ली से उनके गांव खेड़ी साध (रोहतक) लाया जाएगा। उनका राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा।

WhatsApp Image 2025 07 10 at 12.59.46 1

शहीद पायलट लोकेंद्र 2015 में वायु सेना में भर्ती हुए थे। पिछले साल 2023 में उनकी शादी हुई थी और उनका महज एक महीने का बेटा है। परिवार में दो भाई और एक बहन है, जिनमें वह सबसे छोटे थे। बहन भी वायुसेना की अधिकारी रह चुकी हैं।

गांव और परिवार में शोक की लहर है। लोग उन्हें श्रद्धांजलि देने और परिजनों को ढांढस बंधाने के लिए पहुंच रहे हैं।

Whatsapp Channel Join

WhatsApp Image 2025 07 10 at 12.59.47

दादा बलवान सिंह की आंखें नम, लेकिन गर्व से भरीं

दादा बलवान सिंह सिंधु, जो सेना में शिक्षा विभाग में हवलदार और बाद में एक्साइज विभाग में अधिकारी रहे, ने कहा कि लोकेंद्र उनका सबसे लाडला पोता था। उन्होंने बताया कि लोकेंद्र शांत, साहसी और बेहद आज्ञाकारी था। उन्होंने याद किया कि 12वीं के बाद लोकेंद्र को वे एक ब्रिगेडियर के पास लेकर गए, जिन्होंने उसे NDA की तैयारी के लिए प्रेरित किया। लोकेंद्र ने पहली ही बार में NDA परीक्षा पास कर ली थी।

बलवान सिंह ने कहा, “पोते की याद आती है, लेकिन हमें गर्व है कि वह देश के लिए शहीद हुआ।”


जगुआर हादसा: ट्रेनिंग दे रहे थे लोकेंद्र, गांव को बचाते हुए हुए शहीद

शहीद के भाई ज्ञानेंद्र सिंधु ने बताया कि लोकेंद्र सिंधु दो सीटों वाले जगुआर फाइटर प्लेन में को-पायलट को ट्रेनिंग दे रहे थे। कंट्रोल को-पायलट के पास था। उड़ान के दौरान प्लेन 500 फीट से नीचे आ गया, जिससे टेकऑफ करना असंभव हो गया।

लोकेंद्र ने गांव को बचाने के लिए खुद की जान की परवाह नहीं की। यदि वे सिंगल सीट वाले विमान में होते, तो शायद बच सकते थे। उन्होंने पहले भी एक बार एक बड़ा हादसा टालते हुए खराब कैनोपी के बावजूद प्लेन को लैंड कराया था।


नरम स्वभाव, कुशल पायलट और सच्चा देशभक्त

लोकेंद्र का व्यवहार बेहद सौम्य था। वे कभी किसी से ऊंची आवाज में बात नहीं करते थे। उनके समर्पण और कर्तव्यनिष्ठा का उदाहरण उनकी शहादत है, जब उन्होंने गांववासियों की जान बचाने के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए।