Faridabad 38वें अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड शिल्प मेले में हरियाणवी संस्कृति की झलक हर ओर नजर आ रही है, लेकिन हरियाणवी पगड़ी इस बार पर्यटकों के बीच खासा लोकप्रिय हो रही है। ‘आपणा घर’ में लगी विरासत प्रदर्शनी में पर्यटक पगड़ी बंधवाने और हुक्का के साथ सेल्फी लेने के लिए उमड़ रहे हैं।
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विरासत प्रदर्शनी के निदेशक डा. महासिंह पूनिया ने बताया कि हरियाणवी पगड़ी को लेकर लोगों में जबरदस्त उत्साह है। पगड़ी बांधकर पर्यटक हुक्का, हरियाणवी झरोखों, पारंपरिक दरवाजों और चारपाई के साथ सेल्फी लेते नजर आ रहे हैं। सोशल मीडिया पर इन तस्वीरों की धूम मची हुई है, जिससे हरियाणा की सांस्कृतिक विरासत को नई पहचान मिल रही है।
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हरियाणा में पगड़ी को सम्मान और गौरव का प्रतीक माना जाता है। इसे अलग-अलग क्षेत्रों में पग, पगड़ी, साफा, फेंटा, खंडका, मुकुट, मुरैठा आदि नामों से जाना जाता है। प्राचीन काल में इसे सिर को धूप, सर्दी और वर्षा से बचाने के लिए पहना जाता था, लेकिन धीरे-धीरे यह सम्मान और शान का प्रतीक बन गई।
‘आपणा घर’ में पगड़ी बांध रहे मनोज कालड़ा के अनुसार, प्रतिदिन 1000 से अधिक लोग गर्व से हरियाणवी पगड़ी बांधकर मेले का आनंद ले रहे हैं। कुरुक्षेत्र से आए युवा अंकित ने बताया कि उनके दादा पगड़ी पहनते थे और अब वह भी इसे पहनने का आनंद ले रहे हैं।
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इस बार सूरजकुंड मेले में हरियाणवी पगड़ी सिर्फ एक परिधान नहीं, बल्कि संस्कृति और परंपरा की पहचान बनकर छा गई है।