Faridabad 38वें अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड क्राफ्ट मेले में हरियाणा पैवेलियन के ‘अपणा घर’ प्रदर्शनी में राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को शानदार तरीके से प्रदर्शित किया गया है। यह प्रदर्शनी विरासत दि हेरिटेज विलेज, कुरुक्षेत्र द्वारा आयोजित की गई है।
विरासत दि हेरिटेज विलेज के संयोजक डॉ. महासिंह पूनिया ने बताया कि ‘अपणा घर’ को पारंपरिक हरियाणवी शैली में विशेष रूप से सजाया गया है, जिससे लोक संस्कृति, हस्तशिल्प और परंपराओं की झलक देखने को मिल रही है।

हरियाणवी परंपराओं की जीवंत झलक
प्रदर्शनी में हरियाणवी लोक परिधान जैसे घाघरा, चूंदड़ी, दामन पर्यटकों को आकर्षित कर रहे हैं। इसके अलावा, हरियाणा की बुनाई कला और लोक हस्तशिल्प की विशेष प्रदर्शनी लोगों को पारंपरिक शिल्प से जोड़ रही है।
‘अपणा घर’ में लगे हरियाणा की पगड़ी के स्टॉल युवा पीढ़ी को अपनी सांस्कृतिक विरासत से जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं। यहां ‘पगड़ी बंधाओ, फोटो खिंचाओ’ इवेंट विशेष रूप से युवाओं को अपनी परंपरा से रूबरू करा रहा है।

गांवों के प्राचीन औजार और उपकरण
प्रदर्शनी में हरियाणा के गांवों में इस्तेमाल होने वाले ऐतिहासिक उपकरण और वस्तुएं भी प्रदर्शित की गई हैं, जो अब लुप्तप्राय होती जा रही हैं। इनमें प्रमुख रूप से –
- डायल – पुराने समय में तालाब से ऊंचाई पर पानी खींचने के लिए प्रयुक्त होता था।
- डोल – कुएं से पानी निकालने का उपकरण।
- ओरणा – गेहूं और अन्य फसलों की बुवाई के लिए प्रयोग किया जाने वाला उपकरण।
- जेली एवं टांगली – फसल को एकत्रित करने के लिए उपयोग में लाए जाने वाले पारंपरिक औजार।
- लोहे, लकड़ी और पीतल की घंटियां – जिन्हें बैल, गाय, भैंस, हाथी और रथों में बांधा जाता था।
- बिलाई और कांटा – कुएं में गिरी हुई वस्तुओं को निकालने के लिए प्रयुक्त उपकरण।
अंग्रेजों के समय के बाट बने आकर्षण का केंद्र
प्रदर्शनी में पुराने समय में अनाज और तेल की माप के लिए उपयोग किए जाने वाले छटांक, पाव, सेर, धड़ी और मण जैसे पारंपरिक बाट भी प्रदर्शित किए गए हैं। इसके अलावा, अंग्रेजों के दौर के बाट भी लोगों का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं।
महिलाओं के दान में दी जाने वाली वस्तुएं भी प्रदर्शित
हरियाणा की पारंपरिक परंपराओं को जीवंत बनाए रखने के लिए प्रदर्शनी में विवाह के समय दान में दी जाने वाली वस्तुएं, जैसे फुलझड़ी को भी प्रदर्शित किया गया है।
लोककला और पारंपरिक शिल्प की झलक
यहां चरखा कातने की परंपरा और कुम्हार द्वारा मिट्टी के बर्तन बनाने की कला को भी दर्शाया गया है, जो पर्यटकों को अतीत की याद दिलाने के साथ-साथ सेल्फी लेने पर भी मजबूर कर रहा है।
सेल्फी प्वाइंट्स और अन्य आकर्षण
‘अपणा घर’ में बनाए गए सेल्फी प्वाइंट भी खास आकर्षण बने हुए हैं, जहां पर्यटक पूरे दिन तस्वीरें खींचकर मेले की यादों को संजो रहे हैं। इसके अलावा, कागज और मुल्तानी मिट्टी से बनी वस्तु, ग्रामीण घरों और चौपालों की संस्कृति का हिस्सा रहे खाट, पीढ़ा, खटौला, पिलंग, दैहला, सैकड़ों वर्ष पुराने तांबे और पीतल के बर्तन आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं।
हरियाणवी संस्कृति का संपूर्ण अनुभव
‘अपणा घर’ प्रदर्शनी हरियाणवी संस्कृति और विरासत को संजोने और संवारने का एक उत्कृष्ट माध्यम बन गया है। यह न केवल प्राचीन परंपराओं से लोगों को रूबरू करा रहा है, बल्कि उन्हें अपनी समृद्ध संस्कृति पर गर्व करने का भी अवसर दे रहा है।