RAJNATH SINGH

OP चौटाला को श्रद्धांजलि देने सिरसा पहुंचे राजनाथ सिंह, कहा- “उनकी कमी हमेशा खलेगी”

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हरियाणा के पांच बार मुख्यमंत्री रहे OP चौटाला को श्रद्धांजलि देने के लिए केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सोमवार को सिरसा स्थित तेजा खेड़ा फार्म हाउस पहुंचे। इस दौरान उन्होंने चौटाला की तस्वीर पर फूल चढ़ाए और उनके परिवार से मुलाकात की।

मीडिया से बातचीत में राजनाथ सिंह ने ओपी चौटाला की शानदार सेवाओं को याद करते हुए कहा, “ओपी चौटाला ने अपनी पूरी जिंदगी हरियाणा की जनता, विशेष रूप से किसानों की सेवा में समर्पित की। उनकी मेहनत और योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता।”

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राजनाथ सिंह ने कहा, “वे बड़े बाप के बेटे थे, लेकिन राजनीतिक क्षेत्र में उन्होंने अपनी अलग पहचान बनाई। चौधरी सर छोटू राम, चौधरी चरण सिंह और चौधरी देवीलाल जैसे नेताओं के नक्शे कदम पर चलते हुए ओपी चौटाला ने बेबाकी और निर्भीकता से राजनीति की।” केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा, “मेरे ओपी चौटाला के साथ गहरे रिश्ते थे। उनका नहीं होना मेरे लिए एक व्यक्तिगत नुकसान है। वे हमेशा गैर-कांग्रेसवाद का झंडा थामे रहे, और यही उनके राजनीतिक जीवन की विशेषता थी।”

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वहीं, ओपी चौटाला के पोते कर्ण और अर्जुन चौटाला दादा की अस्थियां लेकर रविवार को हरिद्वार के लिए रवाना हुए जहां उन्होंने आज गंगा में उनकी अस्थियां प्रवाहित की।

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ओपी चौटाला (89) का 20 दिसंबर को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था, जिसके बाद उनके पार्थिव शरीर को सिरसा के तेजा खेड़ा फार्म हाउस लाया गया, जहां 21 दिसंबर को राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। चौटाला के निधन के बाद राजनेताओं और आम लोगों का उनके परिवार से संवेदना जताने का सिलसिला जारी है। रविवार को केंद्रीय राज्यमंत्री कृष्ण पाल गुर्जर, यारी इंटरनेशनल संस्था के चेयरमैन रणबीर सिंह लोहान और पंजाबी सिंगर मनकीरत औलख ने चौटाला परिवार का ढांढस बंधाया।

केंद्रीय राज्यमंत्री कृष्ण पाल गुर्जर ने कहा कि ओपी चौटाला का योगदान हरियाणा की राजनीति और समाज में अद्वितीय था। उनका जाना राज्य और देश के लिए अपूरणीय क्षति है। ओपी चौटाला ने अपनी जिंदगी के लम्हों को डायरी में दर्ज किया था, जिसमें उनके राजनीतिक सफर और उतार-चढ़ाव का विस्तार से उल्लेख है।

इन डायरियों में छुपी उनकी यात्रा जल्द ही लोगों के सामने आएगी, और उनकी आत्मकथा तथा विदेश यात्रा पर आधारित पुस्तक भी जल्द प्रकाशित होगी। ओपी चौटाला ने उर्दू में डायरी लिखने की आदत बनाई थी, और उनकी डायरियों का हिंदी में अनुवाद भी किया जा चुका है। इसके अलावा, उन्होंने 119 देशों की यात्रा की थी, जिन पर उनका दूसरा पुस्तक “मेरी विदेश यात्रा” आधारित है।

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